Thursday, September 19

Loksabha Election 2024 Rewa BJP Leader Janardan Mishra :  भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की सूची में रीवा लोकसभा सीट से सांसद जनार्दन मिश्रा का ही नाम घोषित किया है। लगातार तीसरी बार वह भाजपा की टिकट पर लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में होंगे। सांसद के तौर पर दो बार का कार्यकाल उनका पार्टी कार्यकर्ताओं की नजरों में बेहतर रहा है।

गत दिवस रायशुमारी के लिए रीवा आए पर्यवेक्षकों के सामने जिले के अधिकांश पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने जनार्दन मिश्रा का ही नाम लिया था। तीन नाम सभी कार्यकर्ताओं से पूछे गए थे, जिसमें अधिकांश में जनार्दन मिश्रा का नाम शामिल रहा। इसके साथ ही उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला की भी वह पसंद रहे हैं। इस कारण अन्य दावेदारों की तुलना में वह आगे निकले और पार्टी ने नाम घोषित कर दिया है।
जनार्दन मिश्रा का राजनीतिक जीवन संघर्षों भरा रहा है। शुरुआती दौर में वह समाजवादी आंदोलन से जुड़े रहे हैं। मीसाबंदी भी रहे हैं। राजनीतिक शुरुआत अपने गांव हिनौता से की। वह गांव के सरपंच रहे और वहीं से राजनीतिक जीवन को आगे बढ़ाया। भाजपा में मीडिया प्रभारी, महामंत्री, जिला अध्यक्ष भी रहे और पार्टी के प्रति पूरी निष्ठा के साथ काम किया। जिसकी वजह से पहली बार वर्ष २०१४ में पार्टी ने टिकट दिया और मोदी लहर में उन्होंने जीत दर्ज की। इसके बाद पांच साल बाद फिर पार्टी ने दोबारा उन पर भरोसा जताया। अब दस वर्ष तक लगातार सांसद रहने के बाद भाजपा ने करीब आधा दर्जन दावेदारों के बीच जनार्दन मिश्रा को ही बेहतर माना है।

जनार्दन मिश्रा का कहना है कि उन्होंने स्वयं के लिए पार्टी से टिकट नहीं मांगी। पर्यवेक्षकों से भी कहा था कि कार्यकर्ताओं और जनता के फीडबैक में यदि नाम आए तो ठीक अन्यथा वह किसी तरह की दावेदारी नहीं करेंगे। उनका कहना है कि पहली बार जब वर्ष 2014 टिकट घोषित हुई, उस दौरान भी स्वयं मांग नहीं की थी। पार्टी समय-समय पर कार्यकर्ताओं का दायित्व निर्धारित करती है, इसलिए फिर से अवसर दिया है। भाजपा ने ही रीवा में विकास की शुरुआत की है और यहां के लोग विकास के क्रम को बनाए रखना चाहते हैं। विकास ही हमारा मुद्दा है और आगे भी रहेगा।

शर्मा गुट फिर पड़ा कमजोर
रीवा में भाजपा के भीतर गुटबाजी आंतरिक रूप से कई बार सामने आती रही है हालांकि बड़े कार्यक्रमों में सब साथ दिखाई देते हैं। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के समर्थकों का भी यहां पर गुट है, जिसमें जिला अध्यक्ष अजय सिंह पटेल, प्रज्ञा त्रिपाठी सहित कई अन्य दावेदार लोकसभा चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे थे। जनार्दन मिश्रा को टिकट मिलने के पीछे उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला का समर्थन भी माना जा रहा है। शुक्ला कई बार कह चुके हैं कि सांसद अपने काम को पूरी निष्ठा के साथ निभा रहे हैं।

पिछले चुनावों में प्रदर्शन-
2014 में यह रही स्थिति
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में रीवा लोकसभा सीट से कुल 14 प्रत्याशी थे। जिसमें भाजपा की टिकट पर प्रत्याशी रहे जनार्दन मिश्रा विजय हुए थे। वर्ष 2014 में 1544719 मतदाता थे जिसमें 819344 वोट पड़े थे। जनार्दन मिश्रा(भाजपा) को 383320 वोट और प्रतिद्वंदी रहे सुंदरलाल तिवारी (कांग्रेस) को 214594 मत प्राप्त हुए थे। इस प्रकार बीजेपी ने 168726 मतों के अंतर से कांग्रेस को हराया था। बसपा के देवराज पटेल को 175567 वोट मिले थे। जनार्दन मिश्रा सहित भाजपा कार्यकर्ताओं को फिर से मोदी लहर पर ही भरोसा है और दावा कर रहे हैं कि वह जीतेंगे।

वर्ष 2019 में प्रदर्शन
भाजपा- जनार्दन मिश्रा- 583769
कांग्रेस– सिद्धार्थ तिवारी–270961
बसपा–विकास सिंह पटेल–91109
— कुल वोट–1013251 पड़े, कुल 24 प्रत्याशी मैदान में थे।
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स्वच्छता और कुपोषण पर चलाया अभियान
सांसद जनार्दन मिश्रा का दस वर्षों का कार्य सामान्य रहा है। इस बीच उन्होंने स्वयं के स्तर पर भी सक्रियता बनाए रखा और आम लोगों के बीच सहज तरीके से पहुंचते रहे। स्वच्छता को लेकर उन्होंने शहर से लेकर गांव तक लोगों को जागरुक किया। शहर में जहां डोरटूडोर कचरा कलेक्शन के लिए रिक्शा लेकर पहुंचते थे, वहीं स्कूलों के शौचालयों में पहुंचकर खुद सफाई करते रहे हैं। वहीं कुपोषण पर भी काम किया और सहिजन(मुनगा) के पेड़ गांवों में रोपने के लिए लाखों की संख्या में पौधे तैयार कराकर वितरित किया।

बयानों के चलते चर्चा में रहे हैं
सांसद जनार्दन मिश्रा अपने बयानों के चलते कई बार राष्ट्रीय स्तर की सुर्खियों में रहे हैं। कभी आरक्षण के मुद्दे पर दिए बयान के चलते चर्चा में रहे तो एक बार आईएएस आफिसर को जिंदा दफनाने की धमकी देकर सुर्खियां बटोरी। पंचायतों में होने वाले भ्रष्टाचार को वह सहज स्वीकार करते रहे हैं, उनका यह बयान भी चर्चा में रहा कि सरपंच बनने के लिए लोग 15 लाख रुपए खर्च करते हैं तो उसकी वसूली करना उनका अधिकार है। हालांकि बाद में उन्हें अपने इस बयान पर सफाई भी देनी पड़ी। दर्जनों ऐसी घटनाएं हुईं जब उनके बयान पर बवाल मचता रहा है।

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