रीवा। महालक्ष्मी व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो माता लक्ष्मी, धन की देवी को समर्पित है। 16 दिन तक चलने वाले महालक्ष्मी पर्व का मंगलवार को समापन हो जाएगा। इस दौरान शहर से लेकर गांवों तक लोगों के घरों में पूजा होगी। हिंदू धर्म में महालक्ष्मी व्रत का खास महत्व माना जाता है। वैसे तो हिंदू धर्म में हर एक व्रत और त्योहार का विशेष महत्व है।
सोलह दिनों के महालक्ष्मी व्रत का समापन अश्विन मास की अष्टमी तिथि के दिन होता है। इसे गजा लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसमें गज पर बैठी माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। मान्यता है कि महालक्ष्मी व्रत करने से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बरसती है। महालक्ष्मी व्रत में विधि-विधान से पूजन करने के लिए प्रात:काल में स्नानादि कार्यों से निवृत होकर माता की पूजा करें। महालक्ष्मी व्रत में माता लक्ष्मी को तरह-तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है।
इस दिन मां लक्ष्मी को मालपुए का भोग लगाना एक बहुत ही शुभ माना जाता है। मालपुए को मिठास और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। मालपुआ बनाने के लिए मैदा और खोए से दो अलग-अलग बैटर तैयार करके बनाए जाते है। बाद में दोनों बैटर बनाने के बाद घी लगाकर इसे हल्की आंच पर सेंके जाते हैं। इसे चाश्नी में डिप करने बाद ऊपर से बादाम, पिस्ता और केसर डालकर सर्व किया जाता है।
आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी को घरों में महालक्ष्मी व्रत व पूजन किया जाता है। यह पूजा शाम को की जाती है। मंगलवार को महालक्ष्मी की पूजा के लिए बाजार में महालक्ष्मी व्रत के एक दिन पूर्व सोमवार को ही चहल-पहल बढ़ गई। शहर के प्रमुख चौक चौराहों पर पूजन सामग्री की दुकानें सज गईं। अब जगह-जगह हाथी पर सवार लक्ष्मीजी की आकर्षक मूर्तियां मिल रहीं हैं।
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16 ज्योति का है महत्व
ज्योतिषाचार्य डॉ. भूपेन्द्र आचार्य बताते हैं कि इस दिन दिनभर व्रत रखकर सायंकाल पूजन का विधान है। इसे जीवित्त पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है। विधान के अनुसार इस दिन महालक्ष्मी पूजन में 16 चीजों का बड़ा महत्व है। पूजन में 16 दीपक, रक्षासूत्र में 16 गठान, 16 प्रकार के फूल एवं दूर्बा से पूजन किया जाता है।