Thursday, September 19

रीवा। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के रीवा परिसर में हिंदी पत्रकारिता दिवस पर ऑनलाइन मीडिया में हिंदी पत्रकारिता के दशा एवं दिशा विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पत्रकारिता एवं जनसंचार के विद्यार्थियों व शिक्षकों ने अपने विचार व्यक्त किए। अकादमिक प्रभारी डॉ. सूर्य प्रकाश ने कहा कि ‘हिक्की गजट’ को टक्कर देने के लिए हिंदी में पहला अख़बार ‘उदंत मार्तण्ड’ प्रकाशित हुआ था। यह भारतीयों के हित में आवश्यक था। उस दौर की पत्रकारिता तेज तलवार की धार पर चलने के समान थी, परंतु आज वैसी स्थिति नहीं है। वर्तमान दौर में पत्रकारिता संतुलित बन कर रह गई है। ऑनलाइन मीडिया में जो हिंदी लिपि लिखी जा रही है उसमें लिपिकीय त्रुटी साफ नजर आती है। हिंदी वेबसाइट्स पर मौलिक और शोध युक्त कंटेंट का अभाव अक्सर देखने को मिल रहा है।
डॉ. विनोद दुबे ने कहा कि ऑनलाइन के माध्यम से हमारे धर्मग्रंथों और संस्कृति का प्रचार प्रसार वैश्विक स्तर पर हो रहा है। अब मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसी पढ़ाई हिंदी में हो रही है। डॉ. सुनीत तिवारी ने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद हिंदी संवैधानिक और राजभाषा है और विश्व की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है। डॉ. आलोक पांडे ने कहा कि लगभग 70 करोड़ लोग वैश्विक स्तर पर में हिंदी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। हमें गर्व करना चाहिए कि हिंदी का भविष्य उज्जवल है क्योंकि हिंदी में अन्य भाषा के शब्दों को अपनाने की विशेषता है।
हर्ष तोमर ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता के आरंभ की परिस्थितियों व आरंभिक हिंदी पत्रकारिता के मिशन के चलते इसे विस्तार मिला है। तान्या गुप्ता ने कहा कि आज की हिंदी पत्रकारिता में टीआरपी की बढ़ती मांग के दौर में सनसनीखेज भाषा का उपयोग खूब हो रहा है जो चिंतनीय है। छात्र आशित ने कहा कि आज ऑनलाइन प्लेटफार्म पर हिंदी का जो बोलबाला है परंतु विश्वनीयता की कमी है। संगोष्ठी का संचालन मीडिया शिक्षक कपिल देव प्रजापति और आभार नीरज तिवारी ने व्यक्त किया। इस दौरान परिसर की शिक्षिका डॉ रूचि सिंह बघेल, सुमन मिश्रा, महेंद्र सिंह सहित अन्य मौजूद रहे।
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