Thursday, September 19

रीवा। संजय गांधी अस्पताल में एक बार फिर मरीज की मौत के बाद उपचार व्यवस्था में लापरवाही किए जाने का आरोप लगाया गया है। मरीज की मौत के बाद परिजनों ने काफी देर तक अस्पताल में हंगामा भी मचाया और कहा कि किसी तरह से यहां पर उन्हें उपचार व्यवस्था में मदद नहीं मिली है। इस मामले में अस्पताल के चिकित्सकों ने कहा कि उनकी ओर से मरीज को बचाने का प्रयास किया गया लेकिन नहीं बचा पाए।

मरीज के परिजन आनंद द्विवेदी ने बताया कि चिरहुला निवासी गनपति द्विवेदी को तबियत खराब होने पर उपचार के लिए संजयगांधी अस्पताल लेकर आए थे। जहां पहले सामान्य वार्ड में रखा गया लेकिन जब हालत खराब होने लगी तो गंभीर वार्ड में ले जाया गया। अस्पताल में दवाओं की कमी के चलते बड़ी समस्या हुई है। चिकित्सकों द्वारा पर्चियां लिखी जाती थी और उसे बाहर से खरीदकर लाना पड़ता था।

अस्पताल के कर्मचारियों पर जूनियर डाक्टरों ने कहा है कि अस्पताल में कई दिनों से दवाएं खत्म हो चुकी हैं। इस कारण वहां पर कुछ वाटल के अलावा अन्य दवाएं नहीं हैं। यहां तक की वाटल लगाने के लिए जलको भी खरीदकर लाना पड़ा है। परिजनों ने आरोप लगाया कि दवाओं की कमी के चलते स्ट्रेचर पर ही काफी देर तक मरीज को लिटाए रखा गया। वार्ड में सीनियर डाक्टर्स के नहीं आने की वजह से मनमानी उपचार किया जा रहा है। अस्पताल में दवाओं की कमी के चलते अन्य मरीजों ने भी परेशानी होने की बात कही है। बीते कई महीने से यहां पर दवाओं की समस्या रही है लेकिन अस्पताल प्रबंधन का दावा रहा है कि उनके यहां पर्याप्त मात्रा में दवाएं हैं।

परिजनों के आरोपों के संबंध में मेडिकल कालेज के डीन और संजयगांधी अस्पताल के संयुक्त संचालक से भी संपर्क कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन उनकी ओर से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। वहीं अन्य चिकित्सक भी आधिकारिक रूप से कुछ कहने से बचते रहे।

– पांच महीने बाद मिली राशि
मेडिकल कालेज में बीते पांच महीने से दवाओं के लिए बजट का आवंटन नहीं हो रहा था। इस संबंध में गत दिवस चिकित्सकों ने मंत्री राजेन्द्र शुक्ला के सामने भी यह मामला उठाया तो उनके निर्देश के बाद ३.८० लाख रुपए का आवंटन हुआ। इसी से दवाएं खरीदना है लेकिन अब तक दवाएं नहीं खरीदी जा सकी हैं। इसकी प्रक्रिया शुरू की गई है। बीते कई दिनों से अस्पताल में दवाओं की समस्या के चलते मरीजों को परेशानी हो रही है।

स्वास्थ्य मंत्री भी रीवा शहर के, फिर भी संकट
अस्पताल में दवाओं की कमी की समस्या के चलते लोग सवाल उठा रहे हैं। क्योंकि रीवा के ही उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला हैं। इनके पास चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी है। अब दोनों विभाग भी एक हो चुके हैं। मंत्री लगातार अस्पताल का भ्रमण भी कर रहे हैं, इसके बाद भी दवाओं की कमी से मरीजों की मौत से सवाल उठना चिंताजनक है। हालांकि अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि सितंबर महीने के बाद पांच महीने तक बजट नहीं मिला। कुछ दिन पहले ही बजट मिला है, जिसके बाद दवा खरीदी के लिए आदेश जारी कर दिया है।

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