Friday, February 7
n  National Webinar ; राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान जैव विविधता के प्रमुख केन्द्र, इनके संरक्षण के दीर्घगामी उपाय आवश्यकn

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रीवा।  शासकीय माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर महाविद्यालय रीवा में गुणवत्ता प्रबंधन तथा वनस्पति शास्त्र विभाग द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से विशेषज्ञ जुड़े और राष्ट्रीय उद्यानों एवं जैव विविधता के संरक्षण पर जोर दिया। दो दिनों तक चले इस वेबीनार का समापन हो गया है। जिसमें सैकड़ों की संख्या में छात्र और प्रोफेसर्स शामिल हुए।

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 वेबीनार के संयोजक डॉ. स्कन्द कुमार मिश्रा विभागाध्यक्ष वनस्पति शास्त्र ने बताया कि देश के प्रमुख राष्टीय उद्यानों एवं शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों ने हिस्सा लेकर छात्रों की आवश्यकता से जुड़ी बातों पर फोकस किया।

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 इस कार्यक्रम में देश के 18 प्रदेशों के 643 प्रतिभागी शामिल हुए। जिसमें देहरादून की डॉ. वीना चन्द्रा, जोधपुर के प्रो. एनपी शेखावत, प्रो. जेएन व्यास, लखनऊ के डॉ. एके गोयल, डॉ. के. मुथुचेलियन पूर्व कुलपति पेरियार विश्वविद्यालय सालेम (तमिलनाडू), डॉ.बीएल पून्जानी गुजरात, कोलकाता से एजेसी बोस, प्रो. एसपी पांडा, भुवनेश्वर के एनके ढाल सहित अन्य ने पहले दिन बातें रखीं। 260 वर्ष और उससे भी पुराने  बरगद, पीपल वृक्षों को लेकर भी चर्चा की गई।

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राष्ट्रीय वनस्पति शोध संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिक डॉ. एसके तिवारी, हरिद्वारा विश्वविद्यालय के डा. पुरूषोत्तम कौशिक, डॉ. सतीश कुमार शर्मा उदयपुर, डा. केके प्रयागराज के साथ ही, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब सहित अन्य कई राज्यों के विशेषज्ञों ने अपने क्षेत्र के वातावरण का उदाहरण देते हुए छात्रों को शोध से जुड़ी जानकारी दी। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एसएम शुक्ला, वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. आरके तिवारी, डॉ. शैलजा सचान, दिलीप मौर्य, शैलेन्द्र लगरखा सहित अन्य मौजूद रहे।

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