Thursday, September 19

रीवा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर स्टोन क्रशर्स की एक बार फिर से जांच शुरू कर दी गई है। मानकों के अनुरूप संचालन नहीं होने की शिकायत के बाद व्यवस्थाओं का सत्यापन किया जा रहा है। जिन स्थानों पर मानकों की अनदेखी पाई जाएगी उनका संचालन बंद किया जाएगा। सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला की याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने कहा था कि जिला स्तर पर स्टोन क्रशर को दी जाने वाली सभी अनुमतियां निरस्त की जा रही हैं। साथ ही अब नए सिरे से प्रदेश स्तर की कमेटी(सिया) से अनुमति लेने के बाद ही संचालन होगा।

इस निर्देश के बाद भी नए सिरे से अनुमति नहीं लेने के बाद भी संचालन हो रहा था। जिस पर जांच की मांग उठाई गई थी। संभागायुक्त के निर्देश पर कलेक्टर ने कुछ दिन पहले ही एक कमेटी हुजूर एसडीएम की अध्यक्षता में गठित की है। जिसमें खनिज विभाग के क्षेत्रीय प्रमुख एवं उप संचालक, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी, चोरहटा थाना प्रभारी आदि को शामिल किया गया है। अधिकांश स्टोन क्रेशर चोरहटा थाना क्षेत्र में ही संचालित बताए गए हैं। मंगलवार को जांच टीम मौके का मुआयना करने पहुंची तो कई स्थानों पर विसंगतियां पाई गई हैं। हर जगह से पंचनामा तैयार किया गया है, इसकी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जाएगी। जिसके बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को जानकारी भेजी जानी है। आगामी 18 जनवरी को एनजीटी में इस मामले की पेशी भी है।

लीज वाले स्थान पर खोदाई नहीं, फिर भी कारोबार
जांच के दौरान एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। जिसमें स्टोन क्रशर को गिट्टी बनाने के लिए लीज पर खोदाई करने की अनुमति दी गई थी। उक्त स्थानों पर बहुत कम मात्रा में खोदाई की गई है, जबकि क्रशर संचालकों का कारोबार लगातार जारी रहा है। इसलिए अब इन्हीं सवालों के तहत जांच की जा रही है कि यदि खोदाई नहीं हुई तो गिट्टी बनाने के लिए पत्थर कहां से लाए गए। तीन वर्षों के भंडारण की भी जानकारी जुटाई जा रही है।

इन क्षेत्रों में जांच के लिए पहुंची टीम
एसडीएम के साथ खनिज और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों बेला, बैजनाथ, सकरवट, भोलगढ़ एवं बनकुइयां में जांच की। अधिकांश स्थानों पर कमियां पाई गई हैं। प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े मानकों के अनुसार पौधरोपण नहीं कराया गया। साथ ही भंडारण की आईडी बंद होने के बाद भी संचालन पाया गया। कई क्रशर संचालक जांच टीम को जरूरी जानकारियां भी नहीं दे पाए हैं। इसके लिए समय मांगा है। पूर्व में भी इनकी जांच कराई गई थी। बंद कराने के निर्देश के बाद प्रशासन ने अस्थाई तौर पर संचालन की अनुमति भी दे रखी है। इसको लेकर भी याचिकाकर्ता ने सवाल उठाए हैं।

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