Friday, February 7

रीवा। श्यामशाह मेडिकल कालेज (SS Medical College) के गांधी स्मारक अस्पताल में सामान्य प्रसव अन्य मेडिकल कालेजों की तुलना में सबसे अधिक हुए हैं। सिजेरियन आपरेशन के जरिए भी जो प्रसव हुए हैं वह विशेष परिस्थतियों में हुए हैं।

इस संबंध में मेडिकल कालेज के डीन डॉ. मनोज इंदुरकर ( Dr  Manoj Indurkar ) ने बताया कि रीवा में जिले के साथ ही आसपास के दूसरे जिलों से भी बड़ी संख्या में महिलाएं प्रसव के लिए गांधी स्मारक अस्पताल आती हैं। यहां पर स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग विभाग की विशेषज्ञ चिकित्सकों की मंशा रही है कि साधारण प्रसव कराया जाए। कई बार प्रसव के लिए आई महिलाओं की सामान्य प्रसव की स्थिति नहीं होती। ऐसे में जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव भी पड़ता है। इस कारण ऐसे मामलों को छोड़कर अधिकांश में नार्मल डेलिवरी का इंतजार किया जाता है।

यही कारण रहा है कि बीते एक वर्ष के अंतराल में  6691 महिलाओं के सामान्य प्रसव से बच्चे हुए हैं। यह संख्या प्रदेश के दूसरे मेडिकल कालेजों से काफी अधिक है। आने वाले समय में और अधिक संख्या में सामान्य प्रसव के लिए प्रयास किए जाएंगे। डीन डॉ. इंदुरकर ने बताया कि हेल्थ इंफार्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम के तहत अब मरीजों की यूनिक आईडी बनाई जा रही है। जांच रिपोर्ट के लिए मरीजों के परिजनों को लाइन में लगने की जरूरत नहीं है।

अभी अस्पताल में अलग-अलग जगह काउंटर बनाए गए हैं, जहां पर सेंपल कलेक्शन होगा और रिपोर्ट मरीज के वाट्सएप नंबर पर दी जाएगी। साथ ही डाक्टर के पास भी मिल जाएगी। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पैथालॉजी की सुविधा प्रारंभ की गई है। इस दौरान मरीजों को अस्पताल में वह सुविधाएं भी मिलेंगी जो अस्पताल में जांच नहीं होती। आउटसोर्स पर शुरू की गई पैथालाजी के कर्मचारी दूसरे पैथालाजी से जांच कराने का इंतजाम करेंगे। इस प्रेस कांफ्रेंस में डीन के साथ संजयगांधी अस्पताल के संयुक्त संचालक डॉ. राहुल मिश्रा एवं सीएमओ डॉ. यत्नेश त्रिपाठी भी मौजूद रहे।

एमआरआई के लिए मरीज को भर्ती होना जरूरी नहीं
अस्पताल में अब तक व्यवस्था रही है कि यदि किसी मरीज को एमआरआई कराना है तो उसे पहले अस्पताल में भर्ती होना पड़ता था। यह जांच कितने समय होगी यह भी तय नहीं होता था। इस पूरी प्रक्रिया में मरीज एवं परिजनों को परेशानी होती रही है। मेडिकल कालेज के डीन डॉ. इंदुरकर ने बताया कि यह प्रयास किया जा रहा है कि ओपीडी में आने वाले किसी मरीज की हालत यदि एमआरआई कराने की स्थिति में है तो उसे सीधे वहीं से जांच के लिए भेजा जा सकेगा। कुछ दिन पहले ही सुपर स्पेशलिटी में ११ करोड़ रुपए की लागत वाली एमआरआई मशीन लगाने की सहमति बनी है।

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