Wednesday, February 5

रीवा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग कर रहे एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। एक दिन पहले शहर में आरएसएस बैन के पोस्टर चस्पा करने वाले तीन कार्यकर्ताओं को जेल भेज दिया गया है। जमानत के लिए दस्तावेज लेकर कांग्रेस के नेता पहुंचे थे लेकिन जमानत नहीं दी गई। वहीं कई अन्य कार्यकर्ताओं को कई घंटे तक हिरासत में रखने के बाद देर शाम छोड़ दिया गया है। शहर के कॉलेज चौराहे में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं द्वारा नुक्कड़ सभा आयोजित की जा रही थी। इसी दौरान सिविल लाइन थाने की पुलिस पहुंची और कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। सभी को पुलिस कंट्रोल रूम ले जाया गया। इसकी खबर मिलते ही कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा, कविता पांडेय, गिरीश सिंह, मनीष नामदेव, अनूप सिंह चंदेल सहित अन्य नेता पहुंचे और पुलिस अधिकारियों से गिरफ्तारी का कारण पूछा। पुलिस के अधिकारी अधिक जानकारी नहीं दे पाए और कहा कि शांति व्यवस्था के तहत हिरासत में लिया गया।

एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष अनूप सिंह चंदेल ने कहा है कि भाजपा के इशारे पर पुलिस बल ने एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। लोकतंत्र में शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रखने के लिए हर कोई स्वतंत्र है। इस दौरान एनएसयूआई के प्रदेश सचिव रविसुमित सिंह, अभिराज बौद्ध, कुंदन साकेत पर 170 बीएनएसएस के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। मुचलके पर छोडऩे से पुलिस ने इंकार कर दिया। कालेज चौराहे से हिरासत में लिए गए एनएसयूआई जिला अध्यक्ष पंकज उपाध्याय, निकिता शर्मा, अजय सिंह, अर्पित तिवारी, संजीव द्विवेदी, बलराम तिवारी, नितकर्ष मिश्रा, आशु मिश्रा, सानुराग सिंह, वेदनारायण तिवारी, प्रांशु द्विवेदी, अमन द्विवेदी, कुंदन वर्मा, निखिल प्रताप सिंह, मोहित शुक्ला, आशु अग्निहोत्री, शिवम त्रिपाठी, अनिकेत प्याशी, अर्पण तिवारी, जितेंद्र गौतम,संजू कुशवाहा आदि को देर शाम छोड़ा गया। इस घटना को पूर्व एनएसयूआई अध्यक्ष अनुपम तिवारी ने सरकार की तानाशाही बताया है।

लोकतंत्र में आवाज दबाना चाहती है सरकार
कांग्रेस जिला अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा ने कहा है कि लोकतंत्र में सार्वजनिक तौर पर आवाज उठाने का अधिकार सभी को है। एक संगठन को प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट कर गिरफ्तार करना और जेल भेजना निंदनीय है। यह सत्ता का पूरी तरह से दुरुपयोग है। वहीं कविता पांडेय ने कहा कि सत्याग्रह हमारा मौलिक अधिकार है, इसे भाजपा की सरकार नहीं छीन सकती।

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