Rakshabandhan 2024 : भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व रक्षाबंधन जिलेभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। पूरा दिन भाई-बहन के बीच स्नेह के नाम रहा। कहीं भाई अपनी बहन के यहां पहुंचे तो कहीं बहनें भाईयों के पास पहुंचकर राखी बांधी। सुबह से ही घरों में त्योहार की रौनक दिखी। इस बार राखी बांधने को मुहूर्त दोपहर के डेढ़ बजे के बाद था। इस कारण लोग सुबह से ही बाजार में खरीदी कर त्योहार मनाने की तैयारियों में जुटे रहे। सुबह सात बजे के बाद से ही दुकानें बाजार में खुल गई थी। सामान्य तौर पर रीवा शहर में सुबह दस बजे के बाद ही बाजार खुलते हैं लेकिन रक्षाबंधन का त्योहार होने की वजह से सुबह से ही दुकानें खुलने लगी थी। खासतौर पर मिठाइयों और राखियों के लिए विशेष दुकानें भी शहर में सजाई गई थी।
दोपहर बाद से घरों में राखियां बांधने का क्रम शुरू हुआ तो देर रात तक चलता रहा। सोशल मीडिया पर भी रक्षाबंधन त्योहार की धूम रही। शहर के बाजार में आकर्षक सजावट की गई थी। जिसकी वजह से पूरे दिन बाजार में चहल-पहल बनी रही। कुछ स्थानों पर तो बहनों ने अपने भाइयों को राखियां बांधी तो कई जगह सामूहिक रूप से भी रक्षाबंधन मनाने का कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस त्योहार में हर उम्र के भाई-बहन ने अपनी सहभागिता निभाई। कहीं बच्चे आकर्षण रहे तो कुछ जगह बुजुर्ग भाई बहनों ने भी त्योहार की सार्थकता को साबित किया। नेताओं, अधिकारियों, कामकाजी हर जगह रक्षाबंधन की धूम रही।


Rakshabandhan
अस्पताल में राखी बांधती बहन

 अस्पतालों में भी बहनें पहुंची राखी बांधने
रक्षाबंधन का त्योहार भाई और बहन के लिए कितना महत्व रखता है, इसकी कई तरह की तस्वीरें सामने आई हैं। शहर के अस्पतालों में भर्ती लोगों को राखियां बांधने के लिए उनकी बहनें पहुंची। विहान अस्पताल में राखी बांधने पहुंची कालिंदी, मांडवी, मिनी और हनी ने बताया कि उनके भाई बरुण सिंह की तबियत अचानक खराब हो गई, जिसकी वजह से अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इसलिए वह अस्पताल राखी बांधने पहुंची। इसी तरह संजयगांधी अस्पताल में सिंगरौली से शकुंतला जायसवाल, ब्यौहारी से प्रभा तिवारी सहित अन्य कई बहनें ऐसी रहीं जो राखी बांधने के लिए आई थी।

Rakshabandhan: There was happiness everywhere and an atmosphere of brother-sister affection.
Rakshabandhan: 2024


 मिठाइयों की दुकानों में रही भारी भीड़
रक्षाबंधन पर हर बहन अपने भाई को मिठाई खिलाती है। इस कारण मिठाइयों का महत्व बढ़ गया। सुबह से ही शहर के हर हिस्से में मिठाइयों की दुकानें आकर्षक रूप से सजाई गई थी। जहां पर खरीदी करने वालों की भारी भीड़ जमा हुई। लोगों को मिठाई खरीदने के लिए काफी मशक्कत भी करनी पड़ी। शहर में खपत इतना अधिक थी कि कई हिस्सों में दुकानदारों ने अपनी मर्जी से मिठाइयों के दाम निर्धारित कर रखे थे। इतना ही नहीं दोपहर बाद से कई दुकानें तो सामग्री का स्टाक खत्म होने की वजह से बंद भी करनी पड़ी। इस बीच कुछ लोगों ने मिलावटी मावे की मिठाइयां भी महंगे दाम पर बेची। लोग इतने अधिक जल्दबाजी में थे कि वह केवल मिठाई खरीदना चाह रहे थे इसकी गुणवत्ता पर उनका ध्यान नहीं रहा।
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फल भी खूब बिके
मिठाइयों की तरह फल भी रक्षाबंधन पर खूब बिके। इसके लिए प्रमुख फल दुकानों के साथ ही बड़ी संख्या में ठेले भी सड़कों पर लगाए गए थे। जहां पर केला, सेव, नासपाती, पाइनएपल, कीवी, ड्रेगन फ्रूट्स सहित अन्य की बिक्री खूब हुई। दोपहर बाद से इनके भी दाम बढ़ा दिए गए थे। सामान्यतौर पर 50 से 60 रुपए प्रति दर्जन बिकने वाला केला 90 से 100 रुपए तक में बिका। सेव भी 200 रुपए प्रतिकिलो की दर से बेची गई।
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 यात्री बसों में भी रही भीड़
त्योहार की वजह से लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए अपने वाहनों का उपयोग किए लेकिन जिनके पास यह सुविधा नहीं थी उन्होंने यात्री बसों का उपयोग किया। जिसकी वजह से शहर की रेवांचल बस स्टैंड और न्यू बस स्टैंड में सुबह से देर शाम तक भीड़ रही। बसों में सीट नहीं मिलने की वजह से लोग खड़े होकर भी यात्रा करने को मजबूर दिखे और समय पर पहुंचने के लिए वह भीड़ के बीच ही यात्रा करते नजर आए। सतना से रीवा पहुंचे ज्ञानेन्द्र सिंह ने बताया कि बसों के भीतर चढ़ने की भी मशक्कत थी। एक बस छूटने के बाद वह दूसरे बस में खड़े होकर पहुंचे। संदीप पटेल ने बताया कि उन्हें रीवा से जवा जाना था जहां के लिए बड़ी मुश्किल से बस मिली और खड़े होकर गए।
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 शहर में जाम और अव्यवस्था से लोगों को हुई परेशानी
रक्षाबंधन के दिन शहर में जाम और अव्यवस्था की वजह लोगों को भारी परेशानी भी हुई। कई प्रमुख हिस्सों में ट्रैफिक जाम से परेशानी हुई। शहर के चौराहों और सड़कों पर पुलिस की तैनात न के बराबर रही। यही कारण रहा कि जहां पर जाम लगा वह काफी देर तक लगा ही रहा। खासकर अस्पताल चौराहे के आसपास भी दिन में कई बार जाम की स्थिति बनी, जिसके चलते अस्पताल जाने वाले लोग भी परेशान हुए। इसका प्रमुख कारण यह भी रहा कि सड़कों पर लोगों ने खाखियों और मिठाइयों की दुकानें सजा रखी थी। जिसके चलते वाहनों को गुजरने में असुविधा हो रही थी।

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