रीवा। रीवा में कई सरकारी कार्यालयों का स्थान बदलने के बाद अब कमिश्नरी का नंबर है। रीवा संभाग आयुक्त कार्यालय को दूसरी जगह स्थापित करने की रूपरेखा तय की गई है। जिसका विरोध भी स्थानीय स्तर पर शुरू हो गया है, कई अधिवक्ताओं ने कहा है कि कमिश्नरी आने वाले पक्षकारों के लिए उचित निर्णय नहीं कहा जा सकता।
सत्ताधीसों व भाजपाइयों के ऊपर धन कमाने एवं रीवा शहर को मकड़जाल में फंसाए जाने का आरोप लगाते हुए शिव सिंह एडवोकेट ने कहा कि रीवा की हृदयस्थली कोठी कंपाउंड में स्थित विंध्य प्रदेश का पुराना हाईकोर्ट भवन जिसमें कई अरसे से जिला एवं सत्र न्यायालय भवन संचालित है। जहां चंद कदमों की दूरी पर कमिश्नरी एवं रिवेन्यू कोर्ट स्थित है तथा शिल्पी प्लाजा सहित आसपास के 200 मीटर के एरिया में अन्य संभागीय कार्यालय मौजूद हैं । वही 200 मीटर की दूरी पर नवीन कलेक्ट्रेट भवन , 30 मीटर की दूरी पर फोरम न्यायालय, 50 मीटर की दूरी पर कुटुंब न्यायालय , 70 मीटर की दूरी पर आयकर भवन तथा जिला न्यायालय भवन के 200 मीटर के दायरे में आईजी एवं डीआईजी कार्यालय तथा एसपी कार्यालय मौजूद हैं तथा पास ही संपूर्ण चिकित्सा सुविधायें एवं मुख्य बाजार बैंक सुविधायें स्थित है।
वर्तमान संचालित न्यायालय भवन ऐतिहासिक व सुरक्षा की दृष्टि से पर्याप्त क्षेत्रफल के साथ शहर के मध्य व सभी संभागीय कार्यालयों से लगा जो जनहित में सरकार व न्यायपालिका के सस्ता सुलभ न्याय की भावना से भी उचित था उक्त न्यायालय भवन को अधिवक्ताओं पक्षकारों जनमानस के भारी विरोध के बाद भी सन 2014 में व्यावसायिक लाभ के लिए भाजपा के स्थानीय विधायक मंत्री के अथक प्रयासों से नवीन न्यायालय भवन का निर्माण पहले एजी कॉलेज की भूमि पर फिर इंजीनियरिंग कॉलेज की भूमि पर फिर नवीन कलेक्ट्रेट भवन एवं वर्तमान जिला न्यायालय भवन के बीच रिक्त भूमि पर ले जाने का प्रयास किया गया।
इस दौरान विरोध जारी रहा और वर्तमान में नवीन जिला न्यायालय भवन इंजीनियरिंग कॉलेज के पास बनकर शुभारंभ की राह देख रहा है। इन सभी घटनाक्रमों के दौरान जहां रीवा जिले का समूचा जनमानस कोर्ट भवन एथावत की मांग करता रहा वहीं सांसद एवं वर्तमान बीजेपी लोकसभा प्रत्याशी जनार्दन मिश्र अधिवक्ता होने के बावजूद भी मूकदर्शक बनकर स्थानीय विधायक मंत्री के स्वर में स्वर मिलाते रहे। जिसका नतीजा यह हुआ कि रीवा जिले का अधिवक्ता पक्षकार आमनागरिकों के साथ-साथ स्वयं रीवा शहर भाजपा सरकार के प्रकोप से भारी मकड़जाल में फंस चुका है जहां अधिवक्ता एवं पक्षकार परेशान होंगे न्याय महंगा होगा।
शहर में जाम के हालात बनेंगे जबकि सुविधा की दृष्टि से नवीन कलेक्ट भवन मार्तंड स्कूल के एरिया से लेकर कमिश्नरी एवं वर्तमान संचालित जिला न्यायालय भवन का इलाका सुविधा एवं सस्ता सुलभ न्याय की मंशा की दृष्टि से बेहद उपयुक्त था लेकिन बीजेपी की तानाशाही के चलते वर्तमान संचालित जिला न्यायालय भवन इंजीनियरिंग कॉलेज के पास स्थित नवीन जिला न्यायालय भवन में जाने की तैयारी में है जो वर्तमान जिला न्यायालय भवन से साढे तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित है लेकिन अब पक्षकारों एवं अधिवक्ताओं के ऊपर एक और पहाड़ टूटता दिखाई दे रहा है।
वर्तमान जिला न्यायालय भवन के पास स्थित कमिश्नरी कोर्ट को लगभग 4 किलोमीटर दूर बिछिया स्थित संस्कृत कॉलेज की जमीन पर ले जाने की तैयारी चल रही है और जबकि इसके पहले भी एसडीएम एवं तहसील न्यायालय हुजूर को कलेक्ट्रेट भवन से डेढ़ किलोमीटर दूर कमिश्नर आवास के पीछे स्थापित करने भवनों का निर्माण कार्य जारी है।
शायद रीवा वासियों को यह मालूम नहीं होगा कि जिला न्यायालय भवन के सामने स्थित गंगा कछार कार्यालय की बिल्डिंग ढहाकर जमीन को बेच दिया गया । ऐसी खबर है इससे स्पष्ट हो गया है कि भाजपाइयों को रीवा वासियों के सुख सुविधाओं से कोई मतलब गरज नहीं है उनका मुख्य लक्ष्य सिर्फ धन कमाना है और शहर की बेस कीमती जमीनों को औने पौने दाम पर पूंजीपतियों उद्योगपतियों को सौंपकर अपनी तिजोरिया भरना है ऐसे में फैसला अब आपको करना है।