रीवा। वन विभाग पहली बार भू-जल स्तर की निगरानी करने की तैयारी कर रहा है। इसकी शुरुआत रीवा जिले के डभौरा से की गई है। विभाग ने ग्राउंड वाटर लेवल मानिटरिंग के लिए सेंसर आधारित सिस्टम तैयार किया है। इस सेंसर को बोरिंग में डालकर आसपास के क्षेत्र का भूजल स्तर मापा जाएगा। जंगली क्षेत्रों में अधिकांश हिस्सों में पहाड़ एवं पथरीला इलाका होता है। जहां पर भूजल काफी नीचे होने की वजह से कई तरह की समस्याएं भी आती हैं।
जिन क्षेत्रों में ग्राउंड लेवल नीचे होगा, वहां पर पौधरोपण की उसके हिसाब से कार्ययोजनाएं तैयार की जाएंगी। वन विभाग प्रदेशभर में इनदिनों बिगड़े वनों के सुधार के लिए पौधरोपण एवं भूजल संरक्षण संरचनाओं के लिए काम कर रहा है। विभाग अपने अभियान के चलते भूजल स्तर पर कितना बदलाव ला पाया है, इसकी जानकारी नहीं हो पाती। अब नई व्यवस्था से उसका आंकलन होगा।
– डभौरा में प्रयोग हुआ सफल
ग्राउंड वाटर लेवल मानीटरिंग का कार्य वन विभाग की ओर से पहली बार रीवा में किया जा रहा है। डभौरा क्षेत्र में इसका प्रयोग सफल रहा है, जिसे पूरे जिले में लागू किया जाएगा। डभौरा परिक्षेत्र अधिकारी अभिवादन चौबे की देखरेख में पनवार बीट में सेंसर के जरिए भूजल स्तर को मापा गया है। ग्राउंड वाटर लेवल साउंडर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस तकनीक के तहत सेंसर को बोर में डालकर समय-समय पर भू-जल स्तर का पता लगाया जा सकेगा।
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नमी जांचने का प्रयोग पहले हो चुका है
वन विभाग ने देश में पहली बार भूमि की नमी का पता लगाने के लिए सेंसर आधारित सिस्टम रीवा से ही शुरू किया है। इसमें पौधरोपण के आसपास के क्षेत्र की भूमि में नमी कितनी है, इसकी जानकारी आटोमेटिक तरीके से मोबाइल पर मैसेज के जरिए मिलेगी। जंगल में कहां पर भूमि सूख रही है और कहां पर पौधों के आसपास पानी अधिक जमा है इसकी जानकारी मुख्यालय में बैठे अधिकारियों को सकेगी।
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भूजल स्तर सुधारने के लिए प्रयास तो किए जाते हैं लेकिन इसकी जानकारी नहीं हो पाती। इस कारण सेंसर आधारित सिस्टम से पता लगाने का प्रयास किया गया है। डभौरा क्षेत्र में यह प्रयोग सफल रहा है। अब इसे अन्य क्षेत्रों में भी लागू करने का प्रयास किया जाएगा।
अनुपम शर्मा IFS, डीएफओ रीवा
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