Thursday, September 19

रीवा। महापौर अजय मिश्रा बाबा ने एक बार फिर कामकाज में सरकार के हस्तक्षेप का आरोप लगाया है। प्रेस कांफ्रेंस कर उन्होंने कहा कि मेयर इन काउंसिल को बायपास कर काम किया जा रहा है। जिसमें नियमों की सीधे तौर पर अवहेलना हो रही है। नगर निगम के अधिनियम के विपरीत जाकर परिषद अध्यक्ष और आयुक्त द्वारा काम किया जा रहा है।

महापौर ने आरोप लगाया कि कायाकल्प योजना की स्वीकृति एमआईसी से लेना चाहिए लेकिन कुछ भाजपा पार्षदों की मांग पर परिषद से इसे पास करा दिया गया, एमआईसी के पास मामला ही नहीं लाया गया। परिषद अध्यक्ष निगम के कामकाज पर अनाधिकृत हस्तक्षेप कर रहे हैं, साथ ही आयुक्त भी भाजपा नेताओं के इशारे पर नियमों को दरकिनार कर काम कर रही हैं।

महापौर ने यह भी कहा कि सिविल लाइन एरिया में पुनर्घनत्वीकरण योजना के तहत पार्क बनाया जा रहा है, जिसे हाउसिंग बोर्ड की देखरेख में विकसित किया जा रहा है। दूसरे विभाग में जब प्रोजेक्ट चला गया तो उसमें नगर निगम द्वारा राशि खर्च करने का औचित्य नहीं रह जाता। वहां पर करीब तीन करोड़ से अधिक के कार्य नगर निगम ने कराए हैं। इसके अलावा अन्य कई तरह के आरोप लगाते हुए कहा कि आयुक्त द्वारा एक ही कार्य को कई भागों में बांटकर कराया जा रहा है ताकि छोटा कार्य होने की वजह से महापौर एवं मेयर इन काउंसिल से अनुमति नहीं लेनी पड़े।

– भूमिपूजन-लोकार्पण में महापौर की अनदेखी
नगर निगम के कार्यों में भूमिपूजन और लोकार्पण में महापौर का नाम आमंत्रण पत्रों में नहीं होने का हवाला देते हुए कहा कि यह किसी एक व्यक्ति की नहीं बल्कि रीवा शहर की जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि का अपमान है। नगर निगम के १३३ करोड़ के पेयजल योजना के भूमिपूजन, पहडिय़ा में कचरा प्लांट से विद्युत उत्पादन सहित कई प्रमुख कार्य ऐसे होते हैं जिसमें महापौर को जानकारी तक नहीं दी जाती। महापौर ने कहा कि वह इन कार्यों में फिजूलखर्ची के पहले से खिलाफ हैं और नारियल तोड़कर कार्य प्रारंभ कराते हैं। भाजपा नेताओं द्वारा स्वयं श्रेय लेने के लिए अनावश्यक खर्च बढ़ाया जा रहा है।

..तो मंत्री को महापौर का प्रभार ले लेना चाहिए
महापौर ने मंत्री राजेन्द्र शुक्ला पर भी सीधे तौर पर कामकाज में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हर छोटे-बड़े काम में वह हस्तक्षेप कर रहे हैं। उनके कहने पर ही निगम आयुक्त को भी उसी तरह करना पड़ता है। वह वर्तमान में उप मुख्यमंत्री भी हैं, लेकिन रीवा नगर निगम से बाहर खुद को नहीं निकाल पा रहे हैं। इसलिए अब संविधान में संशोधन कराकर नगर निगम के महापौर का भी चार्ज उन्हें ही ले लेना चाहिए। जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि को काम नहीं करने देना रीवा की जनता का अपमान है।

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