भोपाल। शिक्षा विभाग में एक बार फिर बड़ी मनमानी सामने आई है। जिसमें कई ऐसे शिक्षकों को एजुकेशन पोर्टल से इनएक्टिव कर दिया गया है जो सेवाएं दे रहे हैं। पोर्टल से इनएक्टिव होते ही शिक्षकों ने शिकायत करना शुरू कर दिया है। यह समस्या रीवा सहित प्रदेश के दूसरे जिलों में भी सामने आई है। इस कारण अब जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर जानकारी मांगी गई है। साथ ही कहा गया है कि जिला शिक्षा अधिकारी यह भी तय करें कि इस तरह की गलती कहां से हुई है। यदि स्थानीय स्तर पर किसी ने जानबूझकर ऐसा किया है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई भी प्रस्तावित की जाए।

कई शिक्षकों को पोर्टल से इनएक्टिव करने की वजह भी अलग-अलग बताई गई है। जिसमें किसी को सेवानिवृत्त, बर्खास्त, त्याग पत्र देना और मौत होना आदि कारण बताया गया है। अब लगातार ऐसे शिक्षक सामने आ रहे हैं जिनका नाम पोर्टल में इनएक्टिव होने से उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसकी शिकायतें वह स्थानीय स्तर पर करते रहे लेकिन यहां पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इस कारण अब सीधे भोपाल शिकायतें पहुंची हैं। जिसके चलते लोक शिक्षण संचालक केके द्विवेदी ने जिला शिक्षा अधिकारी से पूरी रिपोर्ट तलब की है। विभाग ने इसलिए भी मामले में गंभीरता दिखाई है क्योंकि प्रदेश में 22 हजार 672 कर्मचारियों की मौत, एक लाख 2 हजार 637 को सेवानिवृत्त, 2781 को बर्खास्त और 18 हजार 243 का त्याग पत्र होने का हवाला देकर इनएक्टिव किया गया है।

अतिशेष से बचाने रचा गया खेल
कुछ समय पहले ही अतिशेष शिक्षकों को दूसरी जगहों में पदस्थ किया गया है। जिसमें अधिकांश शिक्षकों को दूर के स्कूल आवंटित हुए हैं। बाबुओं की मिलीभगत के चलते पोर्टल से शिक्षकों के नाम ही गायब करने के लिए इस तरह का खेल रचा गया। पोर्टल पर शिक्षकों के नाम के आधार पर ही आटोमेटिक अतिशेष करते हुए उनको नए स्कूल आवंटित किए गए थे। जब पोर्टल पर नाम ही नहीं रहा तो तबादले से बच गए। इसके साथ ही कुछ ऐसे शिक्षकों के नाम भी जुड़ गए जिनकी ओर से कोई प्रयास नहीं किया गया।

पहले भी आ चुका है मामला
रीवा में इसके पहले भी अतिशेष से बचाने शिक्षकों को ब्रेन ट्यूमर, हार्ट, किडनी सहित अन्य गंभीर बीमारियों से पीडि़त बताया गया था। कुछ ऐसे स्कूल जहां अधिकांश शिक्षकों को एक ही बीमारी बताई गई, वहां पर मामला पकड़ में आया था। इस मामले में कलेक्टर ने जांच बैठाई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिसकी वजह से मनमानी लगातार जारी है।

फार्मेट में जानकारी मांगी गई
लोक शिक्षण संचालनालय ने निर्धारित फार्मेट में सभी इनएक्टिव किए गए शिक्षकोंं की जानकारी मांगी है। इसमें लोक सेवक का नाम, यूनिक आइडी, पदनाम, शाला का डाइस कोड, शाला का नाम, इनएक्टिव करने का और एक्टिव करने का कारण और इस गलती के लिए जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी का नाम और पद की जानकारी मांगी गई है। रीवा के जिला शिक्षा अधिकारी सुदामालाल गुप्ता का कहना है कि अभी यह पत्र उन्होंने नहीं देखा है। जबकि यह पोर्टल पर भी उपलब्ध है।
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एजुकेशन पोर्टल से इनएक्टिव लोकसेवकों की सूची दी गई है। इसके साथ ही इसकी वजह भी पूछी गई है। संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी निर्धारित फार्मेट पर जानकारी एकत्र कर रहे हैं। इसमें जिम्मेदारों के नाम भी पूछे गए हैं, जिन पर शासन स्तर से कार्रवाई तय होगी।
एसके त्रिपाठी, संयुक्त संचालक लोक शिक्षण  
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