Shriram Mandir Ayodhya Kovodar tree  

अयोध्या के श्रीराम मंदिर में लगने वाले ध्वज का प्रारूप रीवा निवासी ललित मिश्रा ने तैयार किया है। अब वह 100 ध्वज श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपेंगे। वर्षों से श्रीराम के ध्वज पर कोई आधिकारिक प्रतीक नहीं था लेकिन बाल्मिकी रामायण एवं अन्य ग्रंथों में मिले उल्लेख के बाद ध्वज में वही प्रतीक चिन्ह अंकित किया जा रहा है जो अयोध्या राज्य के समय पर हुआ करता था। इसके लिए अयोध्या शोध संस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार ने कई चरणों पर अध्यन और समीक्षा के बाद निर्णय लिया है। इस ध्वज में सूर्य के साथ ही कोविदार(कचनार) का भी प्रतीक रहेगा।
अयोध्या के श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी 2024 को होना है। इसके लिए देश के हर हिस्से और समुदाय के लोगों की भागीदार सुनिश्चित की जा रही है। अयोध्या शोध संस्थान के दिल्ली में संयोजक ललित मिश्रा (Lalit Mishra)  हैं, ये मूलत: रीवा जिले के हरदुआ गांव के रहने वाले हैं। ध्वज का प्रारूप हाल ही में उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के चंपत राय को भेंट किया है। जिस पर पांच लोगों की कमेटी गठित की गई है। यह कमेटी अब यह तय करेगी कि ध्वज किस आकार का होगा और कहां-कहां पर लगाया जाएगा।

lalit mishra
lalit mishra

ललित मिश्रा ने  बताया कि अयोध्या से वनवास जाते समय श्रीराम ने तमसा(टमस) नदी के किनारे का मार्ग चुना था। यह रीवा और सतना में है। चित्रकूट में कई वर्षों तक वह रहे। सरभंग आश्रम और गिद्धा पहाड़ का वर्णन रामायण एवं दूसरे ग्रंथों में मिलता है। विंध्य का श्रीराम से गहरा नाता रहा है। इसलिए अब सदियों के बाद मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हो रही है तो इस क्षेत्र का योगदान जरूरी है। इसी के चलते रीवा में ध्वज तैयार किए जाएंगे और शोभा यात्रा के साथ अयोध्या के लिए रवाना किया जाएगा। अभी मुहुर्त अच्छा नहीं है, इसलिए सूर्य के उत्तरायण होने पर 15 जनवरी के बाद भेजा जाएगा।

कोविदार का ऐसा है महत्व
पहले हर राज्य के ध्वज उनकी पहचान हुआ करते थे। अयोध्या राज्य के ध्वज की पहचान कोविदार (Kovidar) से होती थी। उस दौर में इसे राजवृक्ष का दर्जा प्राप्त था। अयोध्या शोध संस्थान के ललित मिश्रा बताते हैं कि बाल्मिकी रामायण सहित अन्य ग्रंथों में उल्लेख है। चित्रकूट की ओर जब श्रीराम से मिलने भरत आ रहे थे, तब सबसे पहले निषादराज ने दूर से देखकर सेना को पहचाना था। इसके बाद लक्ष्मण ने भी कोविदार ध्वज से ही पहचान की थी कि यह अयोध्या की सेना है। अध्ययन के दौरान ध्वज के बारे में जानकारी मिली तो प्रधानमंत्री कार्यालय से संपर्क किया गया और ट्रस्ट के साथ भी बैठकें हुईं। जिसके बाद तय हुआ है कि सनातन काल में जो राजध्वज अयोध्या का था, वही एक बार फिर श्रीराम मंदिर में लगाया जाएगा। इस ध्वज में सूर्य का निशान भी रहेगा, क्योंकि सूर्यवंशी राजा श्रीराम थे। कोविदार का वैज्ञानिक महत्व भी है।

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