Thursday, September 19

रीवा। श्यामशाह मेडिकल कालेज में सिकल सेल डिजीज रिसर्च पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। जहां पर इस क्षेत्र में काम करने वाले कई विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। मल्टी-डिसीप्लीनरी रिसर्च यूनिट में रीसेन्ट अपडेट्स ऑन सिकल सेल डिसीज पर एक दिवसीय कांफ्रेंस का आयोजन किया गया।

मुख्य अतिथि डॉ. ज्योति सिंह पूर्व विभागाध्यक्ष पीडियाट्रिक विभाग, मेडिकल कालेज के डीन डॉ. मनोज इंदुरकर, संजयगांधी अस्पताल के संयुक्त संचालक डॉ. राहुल मिश्रा, कान्वेनर डा.शंखपाणि महापात्रा तथा आयोजक सदस्य डॉ. संजय कुमार पाण्डेय थे सहित अन्य ने सिकल सेल को लेकर जानकारी दी। मेडिकल काउन्सिल द्वारा नियुक्त किये गये आब्जर डॉ. मनीष सुल्या, गांधी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल भी उपस्थित रहे।

डॉ. ज्योति सिंह ने कहा कि सिकल सेल के लक्षणों और उसके दुष्प्रभावों के बारे में आम जनता को जानकारी होना जरूरी है। यह किन वजहों से फैलता है, इसे बताना होगा। यह जीन से जुड़ी बीमारी है, जो न केवल एक पीढ़ी बल्कि कई पीढिय़ों को नुकसान पहुंचाती है।

मुख्य वक्ता डॉ. तापस चकमा वैज्ञानिक राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान- आईसीएमआर जबलपुर ने कहा कि सिकल सेल डिजीज के भारत देश दुनिया भर मे ंदूसरे स्थान पर है। भारत की अधिकतम खासतौर पर जनजातीय क्षेत्र के लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं। यह बीमारी आनुवाशिंक है तथा प्रभावित मरीज की पहचान यदि बाल्यावस्था में ही हो जाये तो इसका उपचार करने मे सुविधा हो सकती है तथा इस बीमारी से होने वाली क्षति को कुछ स्तर तक कम किया जा सकता है। इस बीमारी को स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। इससे जागरुकता बढ़ेगी।

डॉ. मनोज इन्दुरकर ने सिकल सेल बिमारी के माल्यूकुलर स्तर पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सिकल सेल डिजीज में आयरन एसीमिलेटर जीन की भूमिका एवं उनका प्रभाव क्या होता है। डा. लोकेश त्रिपाठी ने बताया कि सामान्य से लेकर आधुनिक तकनीकियों कि संवेदनशीलता एवं विशेषता के बारे में सभी को जानना जरूरी है।

डा. गौरव त्रिपाठी ने बताया कि सिकल सेल बिमारी में हाइड्रोक्सी यूरिया एक महत्वपूर्ण दवाई है जिससे कि मरीज को एक स्थायी अवस्था में संतुलित किया जा सकता है।

– पोस्टर प्रजेंटेशन में स्वेता को प्रथम स्थान
कांफ्रेंस में 120 लोगों ने भाग लिया तथा 9 लोगों द्वारा पोस्टर प्रेजेंटेंशन प्रस्तुत किया गया। डॉ. पीके लखटकिया विभागाध्यक्ष हड्डी रोग विभाग, डॉ. नरेश बजाज विभागाध्यक्ष शिशु एवं बाल्य रोग विभाग तथा डॉ. आदेश पाटीदार आदि ने इस प्रजेंटेशन की वरीयता तय की। जिसमें पोस्टर प्रेजेनटेंशन में प्रथम पुरस्कार रिसर्च स्कॅालर स्वेता पाण्डेय मेडिकल कॉलेज रीवा, द्वितीय पुरस्कार डा. मृदुला जैन मेडिकल कॉलेज इन्दौर और तृतीय स्थान डा. प्रियदर्शिनी मेडिकल कॉलेज रीवा को प्राप्त हुआ।
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