जबलपुर । अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा से विधि की डिग्री हासिल करने के बाद अधिवक्ता के तौर पर नामांकन नहीं हो पाने की वजह से छात्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जहां से कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है और संबंधितों से दो सप्ता में जवाब मांगा गया है। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय की बीए एलएलबी की छात्रा रही प्रज्ञा मिश्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिपति संजीव सचिदेवा और न्यायमूर्ति विनय सर्राफ की युगल पीठ ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता नित्यानंद मिश्र को सुनने के बाद मध्य प्रदेश शासन, बार काउंसिल आफ इंडिया, मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष विधि विभाग को नोटिस जारी करते हुए 2 सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई आगामी 15 अक्टूबर को नियत की गई है।

अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने बताया कि अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के कैंपस में संचालित विधि विभाग से जून 2023 में विधि स्नातक परीक्षा पास करने के बाद जब याचिकाकर्ता छात्रा व अन्य छात्रों द्वारा मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद में अधिवक्ता बनने के लिए नामांकन का आवेदन दिया तो छात्रों का आवेदन इस आधार पर निरस्त कर दिया गया की संबंधित विधि विभाग जहां से छात्रों द्वारा बीए एलएलबी की डिग्री प्राप्त की गई है। उसका नाम बार काउंसिल आफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों, विधि विभागो की सूची से हटा दिया गया है। इस वजह से छात्रा परेशान थी और हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नामांकन कराए जाने की अनुमति देने की मांग उठाई है।

कई कालेजों के छात्रों का नामांकन प्रभावित
रीवा में संचालित विधि पाठ्यक्रमों की संबद्धता बार काउंसिल आफ इंडिया की ओर से नहीं दी गई है। कई ऐसे कालेज हंै जहां से छात्र उत्तीर्ण तो हो रहे हैं लेकिन वह अधिवक्ता नहीं बन पा रहे हैं। उनका राज्य अधिवक्ता परिषद में पंजीयन नहीं हो पा रहा है। विश्वविद्यालय में संचालित 5 वर्षीय बीएलएलबी कोर्स की वर्ष 2006, शासकीय शहीद केदारनाथ महाविद्यालय मऊगंज की वर्ष 2011 से, नेहरू स्मारक महाविद्यालय चाकघाट की 2012 से, ईश्वरचंद महाविद्यालय जवा की 2015 से संबद्धता नवीनीकरण फीस न जमा करने व बार काउंसिल ऑफ इंडिया से इंस्पेक्शन न करवाने के कारण, बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा इन कॉलेजों को मान्यता प्राप्त कॉलेजों की सूची से हटा दिया है जिसके कारण मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद द्वारा इन कॉलेजों से पास छात्रों का अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण रोक दिया गया है, जिस पर छात्रा द्वारा यह याचिका दायर की गई है छात्रा का तर्क है कि छात्रा को उच्च शिक्षा विभाग उच्च शिक्षा विभाग द्वारा केंद्रीकृत काउंसलिंग के माध्यम से संबंधित विधि विभाग का आवंटन हुआ था जहां से छात्रा द्वारा नियमित छात्र के तौर पर परीक्षा उत्तीर्ण की गई , अब परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत छात्रा व अन्य छात्रों के भविष्य के साथ बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया खिलवाड़ कर रहा है। बताया गया है कि बीते 30 जून को बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया ने विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विधि विभाग का ऑनलाइन इस्पेक्शन भी कर लिया है इसके बाद भी अभी तक विधि विभाग की मान्यता का नवीनीकरण नहीं हुआ है।

त्योंथर के छात्रों को मिल चुकी है राहत
इसके पहले भी ऐसा ही मामला विवेकानंद महाविद्यालय त्योंथर का भी सामने आया था। जहां के छात्रों का अधिवक्ता के रूप में पंजीयन नहीं हो रहा था। इस कारण वहां के छात्र आनंद प्रकाश द्विवेदी व अन्य ने भी कालेज के मान्यता नवीनीकरण न होने के कारण राज्य अधिवक्ता परिषद द्वारा अधिवक्ता नामांकन न करने के विरुद्ध याचिका दायर की थी जिसके बाद विवेकानंद महाविद्यालय त्योंथर को बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता का नवीनीकरण कर दिया गया है। इस याचिका के बाद पूरी कालेज को मान्यता मिल गई है और सभी छात्रों के नामांकन का रास्ता खुल गया है।
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