रीवा। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में एक 73 वर्षीय मरीज के हार्ट में ब्लाकेज की समस्या थी। लगातार तबियत खराब होने की वजह से परिजन उपचार के लिए सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पहुंचे, जहां पर जांच के दौरान पाया गया कि हार्ट में कैल्शियम जमा हो गया था। डाक्टर्स ने जांच के बाद एंजियोप्लास्टी का प्रोसीजर अपनाकर मरीज को ठीक किया।
इस तरह के मरीज कम संख्या में ही आते हैं। अधिकांश में बायपास के बाद राहत मिलती है लेकिन अब रीवा में सुपर स्पेशलिटी के डाक्टर्स ने सफलता पूर्वक इलाज करते हुए मरीज को स्वस्थ किया है, जिससे अब बड़े शहरों में जाने की जरूरत नहीं होगी। डाक्टर्स का कहना है कि हार्ट की नसों में कर्ई कई अलग-अलग कारणों से ब्लाकेज की समस्या आती है। जिससे हार्ट सही तरीके से काम नहीं कर पाता और व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है और उसे अटैक आता है।
चिकित्सीय भाषा में इसे कैल्सीफाइड कोरोनरी कहा जाता है। जिस मरीज को सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल लाया गया था उनके हार्ट की नसों में कैल्शियम की मात्रा जमा हो गई थी। इसे हटाने के लिए एंजियोप्लास्टी की गई। जानकारी के अनुसार प्राइवेट अस्पतालों में इसके लिए पांच से छह लाख रुपए खर्च होते हैं। रीवा में आयुष्मान मरीजों के लिए यह नि:शुल्क है और जल्द ही पेड मरीजों के लिए शुल्क का निर्धारण किया जाएगा।
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– अतिसूक्ष्म ड्रिल मशीन से एंजियोप्लास्टी
सुपर स्पेशलिटी में रोटाब्लेशन मशीन कुछ समय पहले ही उपलब्ध कराई गई है, जिसके माध्यम से जटिल एंजियोप्लास्टी कराई गई। यह प्रदेश के सरकारी अस्पताल में कुछ समय पहले तक नहीं थी। रीवा में बढ़ती डिमांड के चलते यह मशीन उपलब्ध कराई गई है। इसमें पतले वायर के साथ डायमंड कोटेड अतिसूक्ष्म डिवाइस (ड्रिल) को भी हार्ट की नसों में डाला जाता है और वह कैल्शियम को हटाने का काम करती है। यह प्रक्रिया कई घंटों तक चलती है। जिस मरीज में यह प्रोसीजर किया गया है वह मऊगंज के खटखरी से आए थे।
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पानी में कैल्शियम की मात्रा अधिक होने से समस्या
रीवा सहित विंध्य क्षेत्र में पानी में कैल्शियम की मात्रा अधिक पाई जाती है। इस कारण हार्ट की धमनियों में धीरे-धीरे कैल्शियम जमा होने लगता है। जिससे ब्लाकेज की समस्या हो जाती है। इसी वजह से चिकित्सक शुद्ध पानी पीने की सलाह देते हैं। बताया जाता है कि रीवा में हार्ट की समस्या से जुड़े अधिकांश मरीजों में कैल्शियम की मात्रा जमा होने की वजह से समस्या होती है। कुछ में तो इतना तेजी से यह जमा होता है कि मरीज को उपचार कराने का समय तक नहीं मिल पाता। यह गंभीर मामलों में गिना जाता है। अब रीवा में इसका उपचार शुरू हो गया है।
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कैल्सीफाइड कोरोनरी में मरीज को खतरा होता है। ऐसे में बायपास का प्रोसीजर करना होता है लेकिन अब एंजियोप्लास्टी के जरिए भी ठीक किया जा सकता है। कैल्शियम जिस पानी में अधिक होता है, उसका सेवन भी इस समस्या का एक कारण होता है। रीवा में रोटाब्लेशन मशीन के जरिए मरीजों को अब राहत मिल सकेगी।
प्रो. वीडी त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष कार्डियोलॉजी रीवा
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