रीवा. मऊगंज के घुरेहटा में डिजिटल अरेस्ट की शिकार शिक्षिका की आत्महत्या के मामले में पुलिस ने राजस्थान के अलवर जिले के रामगढ़ से तीन बदमाशों को गिरफ्तार किया है। पुलिस पकड़े गए आरोपी साहिल खान(22), मुनफेद खान(18) एवं फरदीन खान (22) सभी निवासी सोनागढ़ को लेकर मऊगंज पहुंची। आरोपियों ने पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

आरोपियों के गांव के बड़ी संख्या में युवा साइबर फ्रॉड में शामिल हैं। गांव में सरसों के खेतों में बैठकर यह अपना नेटवर्क चला रहे थे। मोबाइल लोकेशन के आधार पर पुलिस ने पहले दो बदमाशों को गिरफ्तार किया, इसके बाद दूसरे खेत से एक अन्य को पकड़ा गया। पूछताछ में बदमाशों ने बताया कि कई राज्यों के हेल्पलाइन नंबरों में आने वाले फोन कॉल्स को वह ट्रैक करते हैं।

अधिकांश काल डायवर्ट होकर उनके पास पहुंच जाती हैं, जिससे लोगों के नंबर मिल जाते हैं, साथ ही प्रारंभिक रूप से कई बार लोग हेल्पलाइन समझकर उनसे ही अपनी समस्याएं बता देते हैं। इसके कुछ दिन बाद संबंधित नंबर पर फोन कर वह तरह-तरह के लालच देकर या फिर धमकाकर लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं। इसके अलावा अंदाज से भी वह नंबर डायल करते हैं और लोगों से उनके बारे में पूछताछ करते हैं। मऊगंज की महिला से जुड़ी घटना को लेकर विस्तार से अब पुलिस पूछताछ करेगी।

डीआईजी ने मामले का किया खुलासा

डीआईजी साकेत प्रकाश पांडेय ने गुरुवार को पूरे घटनाक्रम का खुलासा किया। बताया कि घुरेहटा में रेशमा पांडेय(40) पत्नी विनायक प्रसाद पांडेय के पास बदमाशों ने फोन पर करोड़ों रुपए कमाने का लालच दिया। कई दिनों तक इस तरह से अपने जाल में फंसाया कि वह भी उनकी बातों को मानने के लिए तैयार हो गईं। इस बीच अलग-अलग दिनों में 22 हजार रुपए बदमाशों ने अपने खाते में डलवाए। इसके बाद और रुपए देने का दबाव बना रहे थे। जब महिला ने कहा कि वह अब पैसा नहीं देगी तो उसे धमकाया कि फार्म भर चुकी है और आधा पैसा देने पर उसे दो साल की जेल होगी और जुर्माना लगाया जाएगा। परिवार के दूसरे लोगों पर भी कार्रवाई हो सकती है। बदमाशों ने पुलिस और सेना की वर्दी पहने कुछ लोगों का एक वीडियो भी उसके मोबाइल पर भेजा थी जिसमें वह भी कह रहे थे उस पर कार्रवाई होगी। जिसके चलते महिला दहशत में आ गई और आत्महत्या कर लिया। पांच जनवरी को मौत के बाद मामले का खुलासा हुआ। तब पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की। जिन नंबरों से फोन आ रहे थे, उनकी लोकेशन राजस्थान के अलवर जिले में बताई गई। उसके आधार पर लौर थाना प्रभारी जगदीश सिंह ठाकुर और एसआई अनंत विजय सिंह के साथ टीम भेजी गई और बदमाशों की गिरफ्तारी की गई। डीआईजी द्वारा किए गए खुलासे के दौरान मऊगंज एसपी रसना ठाकुर भी मौजूद रहीं।

कई राज्यों में फ्रॉड कर चुके हैं बदमाश
डीआईजी साकेत पांडेय ने कहा कि प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि इन आरोपियों ने कई राज्यों के लोगों के साथ फ्रॉड किया है। कुद दिन पहले महिला को जिस तरह से डिजिटल अरेस्ट करते हुए उसे अपने जाल में फंसाया और आत्महत्या के लिए मजबूर किया। ऐसी कई जगह घटनाएं हुई हैं। डीआईजी ने बताया कि कई अन्य जिलों के साथ ही दूसरे कई प्रदेशों से अधिकारियों के फोन आ रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट में मऊगंज में आत्महत्या किए जाने की पहली घटना है। इसलिए मामले की गंभीरता के साथ जांच की जाएगी और बदमाशों के पूरे नेटवर्क का पता लगाया जाएगा।
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कई फोन एक साथ उपयोग करते हैं बदमाश

पकड़े गए बदमाशों के पास से कई मोबाइल फोन भी जब्त किए गए हैं। जिस दौरान सरसो के खेत में छिपकर यह लोगों को अपने जाल में फंसा रहे थे, उसी समय पुलिस ने पकड़ा तो इनके पास से कई फोन मिले हैं। बदमाशों के पास कई अन्य लोगों के बैंक खाते हैं, जिन पर यह पैसा डलवाते हैं।

जामताड़ा की तर्ज पर आगे बढ़ रहा अलवर
बदमाशों को पकडऩे राजस्थान के अलवर गई पुलिस टीम के सदस्यों की मानें तो वहां बड़े पैमाने पर इस तरह से ऑनलाइन फ्रॉड किए जा रहे हैं। अब तक इस मामले में जामताड़ा चर्चित रहा है, लेकिन अलवर में इसके पहले भी कई गिरोह स्थानीय पुलिस द्वारा पकड़े जा चुके हैं। पुलिस की मानें तो गांव में 15 से 30 वर्ष आयु तक के लोग इस इस अपराध में शामिल हैं। चार से पांच लोगों हर गिरोह में हैं। कुछ दिन तक दूसरे गैंग में काम करने के बाद फिर यह अपना खुद का गैंग बना लेते हैं। पूछताछ में और खुलासे होने की संभावना है।

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