रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के 12वें दीक्षांत समारोह में पहुंचे राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने छात्रों को उपाधियां और गोल्ड मेडल वितरित किए। इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि इसे दीक्षा का अंत नहीं मानें, यह जीवन के नए पड़ाव की ओर जाने की शुरुआत है। खुद को राष्ट्र की सेवा में समर्पित करने का अवसर है।

वर्तमान दौर को लेकर चिंता जाहिर करते हुए राज्यपाल पटेल ने कहा कि सोशल मीडिया का तेजी से विस्तार हो रहा है लेकिन अब इसका दुरुपयोग भी बहुत हो रहा है। जिससे इसके खतरे भी उत्पन्न हो रहे हैं। आए दिन अखबारों में खबरें आती हैं कि डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लोगों को ठगा गया है। इसलिए विश्वविद्यालयों में छात्रों को सोशल मीडिया के खतरे और डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी कानूनी और नैतिक जानकारी देना जरूरी है। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय ज्ञान की समृद्धशाली परंपरा रही है, इससे वर्तमान पीढ़ी को अवगत कराना चाहिए। इसलिए नई शिक्षा नीति में इसे शामिल किया गया है।

उन्होंने कहा कि तक्षशिला और नालंदा जैसे एक नहीं कई संस्थान देश में रहे हैं। विविधताओं से भरे इस देश की शिक्षा प्रणाली गौरवशाली रही है। भौतिकवादी युग की ओर आकर्षित हो रही युवा पीढ़ी को नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाना जरूरी है ताकि वह अपने देश और समाज के साथ परिवार के प्रति भी जवाबदेह बनें। कहा कि अंग्रेज हमारे यहां राज करने नहीं बल्कि व्यापार के लिए आए थे लेकिन उनदिनों लोगों ने देश के बजाए खुद के स्वार्थ को प्राथमिकता दी, जिससे देश गुलाम हो गया और जब देशप्रेम की क्रांति जागी तो उन्हें भागना पड़ा। इस दौरान राज्यपाल ने स्वतंत्रता सेनानी कैप्टन स्व. अवधेश प्रताप सिंह को भी याद किया।

– घर के बाहर लिखाते हैं मातृछाया और मां-बाप को उस घर में रहने नहीं देते
राज्यपाल ने वर्तमान दौर के घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि आजकर प्राय: देखा जाता है कि लोग अपने घरों के बाहर मातृ छाया और पितृ छाया लिखवाते हैं। जिन माता-पिता का उल्लेख करते हैं, उसी भवन में उनका रहना मुश्किल कर देते हैं। माता-पिता को घर से बाहर निकाले जाने की आए दिन खबरें अखबारों में पढऩे से मन आहत हो रहा है कि हमार समाज कहां जा रहा है।

..जब राज्यपाल ने छात्रों को सुनाई कहानी
दीक्षांत समारोह के दौरान छात्रों को राज्यपाल ने एक कहानी भी सुनाई, जिसमें बताया कि एक युवक की शादी होने के बाद वह अपनी पत्नी के साथ अलग रहने चला जाता है। उसकी भी जब संतान हुई तो करीब चार साल का बेटा एक दिन लातपा हो जाता है। यह सुनकर बच्चे की मां बेहोश हो जाती है। कुछ घंटे के बाद बच्चा मिल जाता है और उसकी मां प्रसन्न हो जाती है। इस घटनाक्रम को सुनकर युवक के माता-पिता भी आए थे और जब वह जाने लगे तो बहू ने कहा मां-बाबूजी आप लोग बीच-बीच में आते रहा करिए। तब उसकी सास ने समझाया कि तुम्हारा चार साल का बेटा कुछ घंटे के लिए लापता हुआ तो बेहोश हो गई। हमारा तो ३० वर्ष का बेटा तुम्हारे पास चला आया है, सोचो हमारा क्या हाल होगा। यह कहानी सुनाते हुए राज्यपाल ने कहा कि जीवन में कोई भी परिस्थिति आए अपने मां-बाप को नहीं भूलना।
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 जीवन की कमाई अच्छा इंसान बनने में लगाओ : सामंत
समाज विज्ञान में डीलिट की मानद उपाधि प्राप्त करने वाले प्रोफेसर अच्युत सामंत ने छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा किए। कहा कि धन-दौलत की कमाई लंबे समय तक नाम स्थापित नहीं रख सकती। इसलिए जीवन में जितना भी कमाओ उससे अच्छा इंसान बनने का प्रयास करना। इससे खुद के काम पर भी संतुष्टि मिलेगी और लंबे समय तक लोग याद भी करेंगे। प्रो.सामंत ने कहा कि जब वह चार वर्ष के थे पिता का देहांत हो गया। सात भाई-बहनों की परवरिश मां के लिए बड़ी चुनौती थी। हम सबने गरीबी देखी और उसके बीच से ही आगे बढ़े हैं। कहा कि बीते ३३ वर्षों से गरीबों और आदिवासियों की शिक्षा के लिए काम कर रहा हूं। एक लाख से अधिक बच्चों को शिक्षा देकर जीवन के बेहतर मार्ग दिखाए। खुद का न पहले कुछ था और न अब है। बस कमाई यह है कि लोग कहते हैं कि अच्छा इंसान हूं। उड़ीसा में अच्छे शिक्षण संस्थान स्थापित कर नाम हासिल किया है। लोग सम्मान देने के लिए बुलाते हैं। उन्होंने कहा कि रीवा में ६३वीं डिलिट की उपाधि वह हासिल कर रहे हैं। यह बड़ी उपलब्धि है जो धन अर्पित करने से कई गुना बेहतर है। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को भी ४७ मानद उपाधियां मिली थी। रीवा राजघराने को याद करते हुए कहा कि पुरी में जगन्नाथ मंदिर के विस्तार में बड़ा योगदान रीवा का रहा है। यहां के राजाओं को लोग वहां सम्मान से याद करते हैं। बोले रीवा में आकर यहां की पारंपरिक पगड़ी(साफा) पहनकर मन गौरवांवित है।
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 दुनिया में स्थान बनाना है तो शिक्षा को मजबूत करना होगा : डोभाल
विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे शौर्य डोभाल ने कहा कि उन्होंने देश के बाहर पढ़ाई की है और दूसरे देशों के लोगों से अब भी संवाद होता रहता है। लोग पूछते हैं कि भारत का भविष्य क्या है। हमारा जवाब होता है कि छात्रों और युवाओं को देख लेना यही हमारा भविष्य हैं। इसलिए वर्तमान पीढ़ी पर बड़ी जिम्मेदारी है कि वह अच्छी शिक्षा हासिल करे दुनिया में देश का नाम स्थापित करें। डोभाल ने कहा कि विदेशियों ने जब भी हमारे यहां आक्रमण किया,हमारी शिक्षा प्रणाली को प्रभावित किया। इसलिए दुनिया में स्थान बनाना है तो शिक्षा को मजबूत करना होगा।
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