CM Mohan Yadav MP government : सरकारी कर्मचारी जो क्रमोन्नति का लाभ लेने के बाद पदोन्नति वाले नए स्थानों पर जाने से इंकार करते रहे हैं। उनके लिए शासन की ओर से नया दिशा निर्देश जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि ऐसे कर्मचारियों को उच्च वेतनमान आगे से नहीं मिलेगा। रीवा सहित प्रदेश के दूसरे हिस्सों में कर्मचारियों की पदोन्नति का मामला लंबे समय से रुका है। शासन की ओर से इन कर्मचारियों को क्रमोन्नति का लाभ लगातार दिया जा रहा है। जिससे उन्हें पदोन्नति के दौरान मिलने वाला आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहा है।

ऐसे में पदोन्नति वाले उच्च पद का प्रभार देने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। जिसमें अधिकांश विभागों के कर्मचारियों ने उच्च पद का प्रभार लेने से इंकार कर दिया है। अधिकांश कर्मचारी शहरी क्षेत्र में जमे हैं या फिर अपने घरों के आसपास हैं। इस वजह से उच्च पद का प्रभार लेकर वह दूसरी जगह नहीं जाना चाहते। ऐसे में सरकार ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि जो कर्मचारी उच्च पद का प्रभार नहीं लेंगे उन्हें भविष्य में किसी तरह का आर्थिक लाभ प्राप्त नहीं होगा।

सरकार द्वारा जारी किए गए आदेश के बाद क्रमोन्नति योजना में संशोधन करने पर कर्मचारियों की तीखी प्रतिक्रिया आ रही है। मध्यप्रदेश शिक्षक कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष आबाद खान कहते हैं कि उच्च पद प्रभार के दौरान कई लोगों को दूसरे जिला या अन्य दूरस्थ स्थानों पर पोस्टिंग मिलती है। कर्मचारियों की अपनी समस्याएं भी होती हैं, कोई स्वास्थ्य कारणों से या फिर अन्य किसी तरह की समस्या के चलते यदि उच्च पद का प्रभार नहीं लेता तो उस पर किसी तरह की कार्रवाई करना उचित नहीं है। इस पर स्वेच्छा का विकल्प भी रहना चाहिए। सरकार को कर्मचारियों के प्रति उदार रवैया अपनाते हुए नीति निर्धारित करना चाहिए। कर्मचारी तनाव में रहेंगे तो काम बेहतर नहीं हो सकता।

-पूर्व के आदेश में किया गया संशोधन
प्रदेश सरकार ने इस मामले में पूर्व में एक आदेश कर कहा था कि ऐसे शासकीय सेवक, जिन्हें क्रमोन्नति का लाभ दिया गया है, उनको जब उच्च पद पर पदोन्नत किया जाता है और वह ऐसी पदोन्नति लेने से इंकार करता है तो उसे प्रदान किए गए क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ भी समाप्त कर दिया जाएगा। साथ ही पदोन्नति आदेश में इसका भी स्पष्ट उल्लेख किया जाएगा कि यदि शासकीय सेवक इस पदोन्नति को छोड़ देता है, तो उसे पदोन्नति के एवज में पूर्व में दिए गए क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ नहीं मिलेगा। पूर्व की क्रमोन्नति में बढ़ी वेतन से राशि वापस लेने का भी निर्देश था। इस पर अब आंशिक राहत मिली है, पूर्व में मिले लाभ की वसूली नहीं होगी।

शिक्षकों ने उच्च पद का प्रभार लेने से किया है इंकार
हाल ही में बड़ी संख्या में शिक्षकों ने उच्च पद का प्रभार लेने से इंकार कर दिया है। इस कारण ऐसे शिक्षक नए आदेश के दायरे में आएंगे और उन्हें आगे किसी तरह की क्रमोन्नति मिलना मुश्किल हो जाएगा। कुछ दिन पहले ही उच्च पद का प्रभार देने की प्रक्रिया अपनाई गई है। शिक्षकों को इससे कोई वित्तीय लाभ नहीं होने की वजह से नए स्थानों पर वह नहीं गए हैं। इसी तरह दूसरे विभागों का भी हाल बताया गया है।

कर्मचारियों का वित्तीय लाभ बंद करना उचित नहीं
सरकार का नया आदेश कर्मचारी हित में नहीं है, क्योंकि क्रमोन्नति लेंथ आफ सर्विस को पूरा करने के कारण मिलती है। पूर्व में यह व्यवस्था रही है की कर्मचारी चाहे तो प्रमोशन लेने से इनकार कर सकता है लेकिन उसकी क्रमोन्नति नहीं रोकी जाती थी। वर्ष 2016 से प्रमोशन बंद है हजारों की संख्या में कर्मचारी बिना प्रमोशन के रिटायर हो गए हैं। प्रदेश में प्रमोशन प्रारंभ होने की भी कोई संभावना नहीं दिख रही है। मेरा सरकार से आग्रह है कि ऐसे आदेश की बजाय प्रमोशन प्रारंभ करें जिससे कर्मचारियों का वास्तविक हक उन्हें मिल सके और उनका असंतोष समाप्त हो।
आशीष द्विवेदी, जिला अध्यक्ष अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा एवं मध्यप्रदेश राजपत्रित अधिकारी संघ
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