Friday, February 7

रीवा। तीन दिन तक चले पुस्तक मेले का समापन हो गया है। यह मेला अभिभावकों की जरूरतों के अनुसार पुस्तकें और डे्रेस उचित दाम पर उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन के निर्देश पर आयोजित किया गया था। शहर के मानसभवन में तीन दिनों तक शहर के सभी प्रमुख पुस्तक विक्रेता और स्कूल ड्रेस-बैग आदि के विक्रेताओं ने स्टाल लगाया। इन स्थानों पर कुछ अभिभावकों को तो उनकी जरूरत के अनुसार पुस्तकें मिल गईं लेकिन अधिकांश ऐसे भी रहे जिन्हें सभी पुस्तकें नहीं मिल पाई हैं।

दुकानदारों ने उनसे कहा है कि वह सप्ताह भर के बाद दुकान से उक्त पुस्तकें हासिल कर सकते हैं। उस दौरान अभिभावकों को मेले में मिलने वाली छूट का फायदा नहीं मिलेगा। वहीं कई अभिभावकों ने बताया कि स्कूल डे्रस दुकानदार ने मौके पर उपलब्ध नहीं कराया और कहा है कि सप्ताह भर बाद दुकान से मिल जाएगा। इसके लिए मेले के दौरान ही एडवांस राशि ले ली है, फिर भी कहा है कि ड्रेस के दाम बढऩे की वजह से अधिक फायदा नहीं मिलेगा।

मानस भवन से पुस्तकें खरीदकर निकल रहे अभिभावकों में राजीव सिंह ने बताया कि उनके बच्चे जिस स्कूल में पढ़ते हैं, उस स्कूल की पुस्तकें केवल एक दुकानदार के पास मौजूद थीं। जिसने चार पुस्तकें नहीं दी हैं और कहा है कि सप्ताह भर के बाद मिलेगी। यदि पुस्तक मेला था तो सभी दुकानदारों को हर स्कूल की पुस्तकें लेकर पहुंचना था। उन्होंने कहा कि यह तो फिक्सिंग जैसे हो गई कि दुकानदारों ने स्कूलें बांट लीं और उनके यहां खरीदी करना अभिभावकों की मजबूरी बन गई।

इसी तरह प्रभा तिवारी ने बताया कि प्रशासन ने मेला तो लगवा दिया लेकिन किसी ने अभिभावकों से यह तक नहीं पूछा कि यहां पर उन्हें किस तरह से असुविधा हो रही है। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी जहां पर पढ़ती है, उस स्कूल की किसी के पास पुस्तक नहीं है।

गीता पटेल ने कहा कि प्रशासन का प्रयास तो अच्छा है लेकिन स्कूल संचालकों और विक्रेताओं की मिलीभगत के चलते अभिभावकों को पहले की तरह ही लुटना पड़ रहा है। संगीता पटेल ने कहा कि दो पुस्तकें नहीं मिली हैं, दुकानदार ने कहा है कि वह खत्म हो गई हैं। २० जून के बाद दुकान में मिलेंगी।

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