रीवा। दुनिया के सबसे बड़े गौशाला के रूप में चर्चित राजस्थान के पथमेड़ा की तर्ज पर रीवा जिले में तीन गौ अभयारण्य विकसित किए जाएंगे। इसकी तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं। सरकार से वित्तीय सहायता के लिए प्रस्ताव भी भेजा गया है। तीनों जगह प्रारंभिक चरण में 18-18 करोड़ रुपए खर्च होंगे, बाद में विस्तार किया जाएगा। यह तीनों गौ अभयारण्य आत्मनिर्भर बनाए जाएंगे ताकि प्रदेश में गौ रक्षा का एक माडल तैयार हो सके। इसके लिए जिला प्रशासन ने कई चरणों में काम करने के लिए योजना तैयार की है।

जिले से प्रशासनिक अधिकारियों और विशेषज्ञों का एक दल मथमेड़ा(राजस्थान) का भ्रमण करने के लिए भेजा गया था। जहां से उसके पूरे माडल की जानकारी लेने के बाद अब रीवा जिले में भी उसी तर्ज पर काम करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए स्थान भी चिन्हित किए गए हैं जिसमें गुढ़ विधानसभा क्षेत्र के हर्दी, मनगवां के हिनौती और त्योथर के घटेहा में स्थान चिन्हित है। इसमें सबसे पहले हिनौती का काम पूरा करने की तैयारी की गई है। इन स्थानों में केवल मवेशियों को रखकर चारा-भूसा देने तक का काम नहीं रहेगा बल्कि बड़ी संख्या में मवेशियों के रखरखाव के साथ ही स्वरोजगार के अवसर भी विकसित किए जाएंगे जिससे आने वाले दिनों में गौ संरक्षण का माहौल तैयार किया जा सके।

रीवा जिले में बड़ी संख्या में आवारा मवेशी सड़कों और खेतों पर घूम रहे हैं जिसकी वजह से परेशानी भी बढ़ रही है। किसानों का बड़ा नुकसान हो रहा है, कई गांवों में मवेशियों के डर के चलते किसानों ने फसलें ही नहीं बोई है। सड़कों पर भी आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। इस कारण मवेशियों को संरक्षित करना प्रशासन के सामने भी बड़ी चुनौती है। इस कारण कई जगह गौशालाएं बनाई जा रही हैं।

– मथमेड़ा इसलिए है खास
मथमेड़ा की गौशाला दुनिया के लिए मॉडल कही जाती है। यहां पर गौसेवा के साथ ही कई अन्य कार्य भी हो रहे हैं। करीब 3600 एकड़ में फैले इस गौशाला में लाखों गौवंश हैं। जिसमें दुर्घटनाग्रस्त, बीमार, उम्रदराज मवेशियों को अलग सेल पर रखकर सेवा कार्य किया जा रहा है। साथ ही कई तरह के गौवंशों से दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने की गतिविधियां भी की जा रही हैं। गौशाला में गाय के दूध, घी और अन्य उत्पाद बनाए जाते हैं, जिनका उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है। इस गौशाला की खूबसूरती और धार्मिक महत्व के कारण यह पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र बन गया है। यहां पर गायों को दत्तक लेने जैसी कई योजनाएं संचालित की जाती हैं। जिसमें हजारों लोग जुड़ रहे हैं। गौ सेवा से जुड़े विभिन्न शोध कार्य भी यहां किए जाते हैं।
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ग्रीन एरिया विकसित की जाएगी
मवेशियों के खाने-पीने का इंतजाम करने के लिए प्रस्तावित गौ अभयारण्य के नजदीक ही ग्रीन एरिया विकसित की जाएगी। यहां पर चारा और भूसा का इंतजाम किया जाएगा ताकि बाहर से यदि कोई मदद नहीं भी हो तब भी मवेशियों के खाने में कोई समस्या नहीं आए। इस पर कई तरह से तैयारियां हैं, एक तो सरकारी भूमि का उपयोग और दूसरा आसपास के किसानों के साथ अनुबंध कर व्यवस्थाएं की जाएंगी। बड़ी संख्या में मवेशियों के रहने से उनके गोबर से कई तरह की सामग्री तैयार की जाएगी। दुग्ध प्रसंस्करण का कार्य भी किया जाएगा।
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 बसामन मामा आएंगे मुरारी बापू, अवधेशानंद और रामदेव
बसामन मामा में बनाए गए गौ अभयारण्य को देखने के लिए देश के तीन प्रमुख चर्चित संत आएंगे। जिसमें कथा वाचक मुरारी बापू, अवधेशानंद गिरी एवं योगगुरु रामदेव शामिल हैं। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ की वजह से तीनों वहां पहुंचेंगे और रीवा पहुंचकर बसामन मामा के गौ अभयारण्य को देखेंगे। इस दौरान जिला प्रशासन ने अपने तीन नए प्रस्तावित गौ अभयारण्य के बारे में बताने की तैयारी में है। तीनों की ओर से गौ सेवा का कार्य किया जा रहा है, यदि इनकी ओर से संचालन के लिए हामी भर दी जाएगी तो प्रशासन को खुद से इंतजाम नहीं करना पड़ेगा। इनके आने की तारीख अभी तय नहीं हुई है लेकिन जनवरी महीने में ही कार्यक्रम होने की संभावना है।
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जिले में 154 गौशालाओं का हो रहा संचाल
जिले में 154 गौशालाओं का संचालन किया जा रहा है। इनका पंजीयन गौ संवर्धन बोर्ड में भी किया गया है। जिसमें 72 गौशालाओं के संचालन की जिम्मेदारी एनजीओ और स्व सहायता समूहों को दी गई है। शेष पंचायतों द्वारा संचालन किया जा रहा है। गौशालाओं में गंगेव जनपद से आठ, जवा से 17, रायपुर कर्चुलियान से 12, रीवा से नौ, सिरमौर 31, त्योंथर 14, हनुमना 21, मऊगंज 28 और नईगढ़ी में दस गौशालाएं शामिल हैं। रीवा और मऊगंज जिले में 202 गौशालाओं का निर्माण कराए जाने का टारगेट रखा गया है। जिसमें 185 का निर्माण पूरा हो चुका है।

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