रीवा। शहर के सिविल लाइन थाने में पुलिस अभिरक्षा में मौजूद महिला की मौत के मामले में तीन पुलिसकर्मी गिरफ्तार किए गए हैं। तीनों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से जेल भेजा गया है। इस मामले में पुलिसकर्मियों को बचाने का प्रयास पहले किया गया था लेकिन मामला जब मुख्यालय तक पहुंचा तब विवेचना में गंभीरता आई और तीन पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया। इसके पहले पुलिस अधीक्षक ने जांच कराने के बाद पांच पुलिसकर्मियों को प्रथम दृष्टया दोषी माना था और निलंबित कर दिया था। इसके बाद से मामले की विवेचना की जा रही थी। घटना अक्टूबर 2023 की है। जब शहर के ढेकहा मोहल्ले में यशवर्धन सिंह के घर पर चोरी हुई थी, उस संदेह पर उन्होंने डायल 100 को बुलाकर एक महिला को पुलिस के हवाले किया था। जिस पर आशंका जाहिर करते हुए कार्रवाई की मांग उठाई थी।

पुलिस ने राजकली केवट निवासी शिकारगंज जिला सीधी को हिरासत में लेकर दो दिनों तक पूछताछ की और अलग-अलग जगहों पर उसे लेकर गए। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने उसके साथ मारपीट और प्रताडि़त किया, जिसकी वजह से 30 अक्टूबर 2023 की रात महिला की हालत गंभीर हो गई और आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, जहां पर चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। इसके बाद एसपी सहित अन्य अधिकारी थाने पहुंचे थे और जांच के निर्देश दिए थे। मृतिका के परिजनों ने खुले तौर पर आरोप लगाया था कि पुलिस ने मारपीट की है, जिसके चलते राजकली की मौत हुई है। शरीर में मारपीट के निशान भी पाए गए थे। इस मामले की जांच डीएसपी प्रतिभा शर्मा को सौंपी गई थी। सीसीटीवी फुटेज में भी महिला के साथ मारपीट किए जाने की बात सामने आई थी। जिसकी वजह से पांच पुलिसकर्मियों को दोषी माना गया था।

फरियादी को भी पुलिस ने बनाया आरोपी
इस मामले में पुलिस ने फरियादी को भी आरोपी बनाया। जिसमें ढेकहा निवासी यशवर्धन सिंह और उनकी पत्नी प्रतीक्षा पर हत्या का प्रकरण दर्ज किया गया था। आरोप था कि चोरी के संदेह में उनकी ओर से मारपीट की गई थी। जिसकी वजह से महिला की थाने में मौत हो गई। इसमें तीन पुलिसकर्मियों को भी नामजद किया गया था जिसमें एएसआई कौशलेन्द्र प्रसाद शुक्ला, प्रधान आरक्षक विवेक सिंह एवं महिला आरक्षक खुशबू तिवारी आदि शामिल थे। इन पुलिसकर्मियों के साथ ही एसपी ने एसआई विकास सिंगौर और एएसआई द्वारिका बागरी को भी निलंबित कर दिया था, हालांकि हत्या का प्रकरण तीन पर ही दर्ज किया गया था।
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विधानसभा में मामला उठा तब गंभीरता आई
सिविल लाइन पुलिस थाने में अभिरक्षा के दौरान महिला की मौत का मामला विधानसभा में सिरमौर विधायक दिव्यराज सिंह ने उठाया था। उन्होंने सवाल उठाया था कि जिस व्यक्ति ने चोरी की सूचना दी और आरोपी को सही सलामत पुलिस के हवाले किया, उसकी दो दिन बाद थाने में मौत हुई। यदि महिला के साथ मारपीट की गई थी तो पुलिस ने अस्पताल में सीधे भर्ती क्यों नहीं कराया। महिला को उसके गांव भी लेकर जाने की वजह से पुलिस सवालों के घेरे में थी। विधानसभा में आश्वासन के बाद पुलिस मुख्यालय ने गंभीरता से सभी बिन्दुओं की जांच कराने के निर्देश दिए। जिसके बाद पुलिसकर्मियों की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए हत्या का प्रकरण दर्ज किया गया।
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पुलिस बचाव करती नजर आई
जिस दौरान पुलिसकर्मियों को कोर्ट में पेश किया, उस समय और बाद में भी पुलिस उनके बचाव में नजर आई। अन्य घटनाओं पर बकायदे प्रेस कांफ्रेंस करने वाले पुलिस अधिकारी घटना पर कुछ भी बोलने से इंकार करते रहे। मामले की जांच करने वाली डीएसपी प्रतिभा शर्मा ने तो नाम बताने से ही इंकार कर दिया। इस कारण पुलिस की भूमिका फिर सवालों में है।
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