Vulture counting of madhya pradesh vulture state

भोपाल/रीवा। रीवा सहित प्रदेश भर में गिद्धों की गणना 16 फरवरी से प्रारंभ होगी। यह गणना तीन दिन तक लगातार चलेगी। इसके लिए वन विभाग ने गाइडलाइन जारी की है और गणनाकर्मियों को प्रपत्र भी दिया गया है। उसी के अनुसार ही यह गणना की जाएगी और हर दिन उसमें ब्यौरा भरकर मुख्यालय भेजना होगा। वन मंडलाधिकारी के पास आई गाइडलाइन में कहा गया है कि सूर्योदय के बाद ही गणना प्रारंभ होगी। जहां पर सुबह आठ बजे के बाद भी स्पष्ट रूप से धूप नहीं पहुंचती, वहां पर कुछ देर के बाद प्रारंभ कराना होगा।

यह भी स्पष्ट किया गया है कि केवल बैठे हुए गिद्धों की गणना की जाएगी। उड़ते गिद्ध मान्य नहीं किए जाएंगे। इस काम के लिए वनकर्मियों के साथ ही स्थानीय स्तर पर वालेंटियर्स का भी सहयोग लेने का निर्देश है। हर गिद्ध का दो फोटो अलग-अलग एंगल से लेना होगा। बीते कुछ समय पहले तक रीवा जिले में गिद्धों की संख्या बहुत कम हो गई थी लेकिन अब पुरवा, सिरमौर, अंतरैला, सेमरिया, डभौरा, सोहागी, मऊगंज, हनुमना, मोहनिया घाटी, बदवार, गोविंदगढ़, गड्डी आदि के पहाड़ी क्षेत्रों में गिद्ध देखे जा रहे हैं। साथ ही गांवों में भी मवेशियों के मरने पर गिद्धों की संख्या दिखने लगी है। बीते साल 352 गिद्ध होने का अनुमान था लेकिन अब इसकी संख्या और बढऩे की संभावना है।

अब नए सिरे से गणना कराने के लिए तैयारियां तेज कर दी गई हैं। इसके लिए कर्मचारियों का प्रशिक्षण कई चरणों में आयोजित किया जा चुका है। बताया गया है कि गणना के दौरान प्रकृति प्रेमी वालंटियर्स, स्कूल-कॉलेज ईको क्लब सदस्य, फोटो ग्राफर्स एवं एक्सपट्र्स को भी आमंत्रित किया जाएगा। रीवा वनमण्डल में सर्वाधिक पाए जाने वाले गिद्ध प्रजातियों में लांग बिल्ड वल्चर, इजिप्शन वल्चर, सिनेरियस वल्चर आदि हैं।

– जागरुकता अभियान चला रहा विभाग
वन विभाग गिद्धों को लेकर जटायु संरक्षण अभियान बीते कुछ महीने से चला रहा है। जिसके तहत वनकर्मियों और वालेंटियर्स द्वारा दवा की दुकानों, गौशाला, पशु चिकित्सालय एवं गावों में लोगों को जागरुक किया जा रहा है। गौशाला प्रबंधकों, पशु चिकित्सकों एवं ग्रामीण गौ स्वामियों, गौसेवकों से कहा जा रहा है कि उन दवाओं का उपयोग मवेशियों पर नहीं कराएं जिनकी वजह से गिद्धों को नुकसान होता है। विकल्प के तौर पर चिकित्सकों से दूसरी दवाएं लेने के लिए जागरुक किया जा रहा है। कई दवा दुकानों ने भी आश्वासन दिया है कि वह अब प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री मवेशी पालकों को नहीं करेंगे। इसके अलावा गिद्ध रहवास स्थलों की निगरानी भी की जा रही है। नए रहवास स्थलों की खोज पहचान की जा रही है।

गिद्धों की गणना 16 से 18 फरवरी के बीच होगी। इसके लिए निर्धारित प्रपत्र में जानकारी भेजी जाएगी। जिला स्तर पर टीमें गठित की जा रही हैं। वालेंटियर्स एवं अन्य लोगों का भी इसमें सहयोग लिया जाएगा। जटायु संरक्षण अभियान के चलते गिद्धों की संख्या में बढ़ोत्तरी का अनुमान है।
अनुपम शर्मा, डीएफओ रीवा

Share.
Leave A Reply