चंद्रयान-3 (Chandrayan-3) की सफलता ने दुनियाभर में भारत का मान बढ़ाया है। इसमें विंध्य के तीन वैज्ञानिकों ने भी बड़ी भूमिका निभाई है। करीब छह महीने से अधिक समय से दिन-रात मेहनत कर इसरो के अलग-अलग सेंटरों से इन्होंने अपना भी योगदान दिया है। इस सफलता पर पूरे विंध्य के लोग गौरवांवित हैं। शहरों से लेकर गांवों तक जश्न मनाया गया।
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रीवा के तरुण सिंह, सतना के ओम पांडेय और उमरिया के प्रियांशु मिश्रा ने इसरो की टीमों का हिस्सा रहते हुए सफलता पूर्वक लैंङ्क्षडग कराने में अहम भूमिका निभाई है। रीवा के इटौरा निवासी तरूण सिंह इसरों में सीनियर वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं। वे चंद्रयान-3 के कैमरा सेक्शन की टीम में शामिल हंै। यह टीम चंद्रयान 3 की चंद्रमा से पूरी तस्वीरें इसरों को भेजती है। साथ ही दुनिया को चांद पर लैडिंग का सीधा प्रसारण दिखाने में भी तरूण की अहम भूमिका रही।
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सतना के कोटर निवासी इसरो वैज्ञानिक ओम पांडेय भी फरवरी महीने से इस अभियान में जुटे हुए हैं। चंद्रयान के प्रक्षेपण के बाद से उस पर हर सेकंड की निगरानी रही है। ओम पांडेय मॉरीसस से अपनी टीम के साथ निगरानी में थे। उनकी पत्नी शिखा इनदिनों अपने मायके रीवा शहर के नेहरू नगर में हैं। चंद्रयान की सफलता पर वार्ड पार्षद नम्रता सिंह सहित मोहल्ले के अन्य लोगों ने शिखा एवं उनके पिता हरिश्चंद्र शुक्ला सहित पूरे परिवार को शुभकामनाएं दी। रीवा-सतना के वैज्ञानिकों का इसरो की टीम का हिस्सा होने पर क्षेत्र के लोग गौरव महसूस कर रहे हैं, इस कारण हर जगह जश्न जैसा माहौल है।
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उमरिया के प्रियांशु मिश्रा ने ट्रेजेक्टरी डिजाइन के रूप में अपनी अहम भूमिका निभाई है।
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nतरुण ने गांव से शुरू की थी पढ़ाई
nसफलता के शिखर पर पहुंचे इटौरा निवासी इसरो के वैज्ञानिक तरूण सिंह की शिक्षा गांव से शुरू हुई थी। इनके पिता दिलराज सिंह शिक्षक रहे हैं। कक्षा 6वीं से 12वीं तक की पढ़ाई रीवा के सैनिक स्कूल से की। इंदौर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। जूनियर इंजीनियर के रूप में तिरूंदपुरम से काम की शुरुआत की थी। तरुण रीवा शहर के नेहरू नगर निवासी राजपाल सिंह और कांति सिंह के दामाद हैं। पार्षद एवं स्थानीय निवासियों ने इनके घर भी पहुंचकर चंद्रयान की सफलता पर बधाई दी।
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nसतना में जश्न का माहौल
n चंद्रयान-3 मिशन का अहम हिस्सा सतना के ओम पांडेय भी रहे हैं। करसरा गांव के मूल निवासी ओम मॉरीसस के इसरो मॉनीटरिंग सेंटर से भूमिका निभा रहे थे। इनकी टीम का जिम्मा अर्थबाउण्ड फेज में चंद्रयान की आर्बिट को रेज करना है। सामान्य भाषा में कहें तो इस चरण में चंद्रयान के परिक्रमा पथ को बढ़ाते हुए क्रमश: दूर जाने के हर पल पर नजर रही है। बीते फरवरी माह से मॉरीसस में पहुंचकर वह चंद्रयान को लेकर जुटे रहे। एंटीना चंद्रमा के एक हिस्से को ही ट्रेक कर सकता है। लिहाजा, यहां की टीम चंद्रयान के अर्थ बाउंड फेज के चार परिक्रमा पथों को ट्रेकिंग करती रही है।
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बचपन से थी अंतरिक्ष में रुचि
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ओम की बचपन से अंतरिक्ष में रुचि रही है। इसी लिहाज से उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई की। इसके बाद आइआइटी में चयन होने के बाद उन्होंने अंतरिक्ष में अपना कॅरियर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया। इसरो में चयनित होने के बाद वे चंद्रयान के मिशन 2 का भी हिस्सा रहे। उनके पिता प्राणनाथ पाण्डेय सेवानिवृत्त शिक्षक हैं और चाचा आरडी पाण्डेय पीआइयू में उपयंत्री हैं। इस मिशन को लेकर करसरा गांव में हर्ष का माहौल है।