nरीवा। आयुष्मान भारत योजना (Aayushman Bharat Yojna) के तहत मरीजों को प्रायवेट अस्पतालों में अब उपचार नहीं मिल पाएगा। इस संबंध में शहर के पांच पंजीकृत अस्पतालों ने लिखित तौर पर शासन को यह सूचना दे दी है कि उन्हें बीते करीब छह महीने से मरीजों को उपचार के बदले मिलने वाली राशि नहीं मिली है। जिसके चलते अब वह मरीजों को नि:शुल्क उपचार दे पाने में असमर्थ रहेंगे। करीब दो सप्ताह पहले भी ज्ञापन भेजकर निजी अस्पतालों ने सामूहिक रूप से सूचना दी थी कि उनको भुगतान नहीं होगा तो वह दस अप्रेल से सेवाएं बंद कर देंगे।
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शासन की ओर से इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है और न ही निजी अस्पतालों को इस पर कोई ठोस आश्वासन दिया गया है। जिसके चलते यह निर्णय निजी अस्पतालों की ओर से लिया गया है कि जब तक उनको भुगतान नहीं मिलेगा, आयुष्मान मरीजों को सेवाएं नहीं देंगे। शहर के जिन प्रमुख अस्पतालों ने आयुष्मान योजना के तहत उपचार करने से इंकार किया है उसमें प्रमुख रूप से विंध्या हास्पिटल, रीवा हास्पिटल, नेशनल हास्पिटल, विहान हास्पिटल एवं रैनबो हास्पिटल आदि शामिल हैं।
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यूनाइटेड प्रायवेट हास्पिटल डायरेक्टर्स एसोसिएशन द्वारा आयुष्मान योजना के सीइओ को पत्र भेजा गया है। कुछ दिन पहले ही विंध्या हॉस्पिटल के संचालक डॉ. विशाल मिश्रा, रीवा हॉस्पिटल के संचालक शिवेन्द्र शुक्ला, नेशनल हॉस्पिटल के डॉ. अखिलेश पटेल, रैनबो हॉस्पिटल के सुमितराम चंदानी, विहान हॉस्पिटल की कल्पना पटेल आदि ने प्रेसकांफ्रेंस कर अपना पक्ष रखा था और कहा था कि शासन को उनके बकाया भुगतान के बारे में सोचना चाहिए। सितंबर महीने के बाद से सरकार ने भुगतान रोक रखा है। लगातार क्लेम भेजा जा रहा है लेकिन राशि जारी नहीं हो रही है। निजी अस्पताल संचालकों ने कहा कि छह महीने से दवाओं, इंप्लांट, सैलरी सहित अन्य खर्चों का भार उठाना पड़ रहा है। दवा कंपनियों ने सप्लाई रोक दी है,जिससे उपचार देना मुश्किल हो रहा है। ऋण लेकर अब तक किसी तरह से काम चलाया है लेकिन आगे कर पाना संभव नहीं होगा।
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nकरीब छहीने तक हम सब इंतजार करते रहे, इसके बाद मांग उठाई। सभी अस्पतालों में ऋण का भार बढ़ रहा है। ऐसे हालात में तब तक आयुष्मान योजना के मरीजों को सेवाएं देना मुश्किल होगा जब तक भुगतान नहीं होता। इसकी सूचना शासन को भेज दी है।
nडॉ. विशाल मिश्रा, विंध्या हास्पिटल रीवाn