Friday, February 7

 Vanwasi Ram
nरीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के एमबीए सभागार में ‘वनवासी राम’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जहां पर कई विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए, जिसमें इस बात का उल्लेख किया गया कि भगवान श्रीराम ने अपना वनवासी जीवन विंध्य में अधिक समय तक गुजारा था।

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो प्रकाशमणि त्रिपाठी  ने भगवान राम के वनवासी जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन ऋषिओं, महात्माओं एवं स्थानों का उल्लेख किया जहां श्री राम ने समय बिताया और लोक जीवन में अपने आर्दश स्वरूप की छाप छोड़ी।

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अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजकुमार आचार्य ने कहा कि वनवासी संस्कृति, संस्कार, जीवन शैली एवं आचार-विचार की दृष्टि ने दशरथ पुत्र राम को मर्यादा पुरूषोत्तम राम बनाया। उन्हे राष्ट्र पुरूष के रूप में स्थापित किया और लाखों साल से हम राज्य के रूप में ‘राम राज्य’ की संकल्पना करते है। संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि जगतगुरू रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शिशिर पाण्डेय ने ‘वनवासी राम’  के जीवन प्रबंधन पर प्रकाश डाला और कहा कि जिस तरह से उन्होंने अपने को जंगल के बीच स्थापित किया, वह भी आदर्श है।

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उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से आए प्रो. जितेन्द्र सिंह ‘संजय’  ने भगवान राम के वनवास के समय विन्ध्य क्षेत्र पर विस्तृत व्याख्या की। उन्होंने कहा कि वनवास का अधिक समय विंध्य में ही श्रीराम ने गुजारा था। विषय प्रवर्तन अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डा. लवकुश द्विवेदी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में आए लोगों का धन्यवाद प्रो अतुल पाण्डेय ने किया और संगोष्ठी के संयोजक नलिन दुबे ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस दौरान पूर्व कुलपति रहस्यमणि मिश्रा, प्रो. एनपी पाठक, प्रो. सुनील तिवारी, प्रो. आरएन पटेल, प्रो. महेशचचन्द्र श्रीवास्तव, प्रो. अतुल पाण्डेय, प्रो. श्रीकान्त मिश्रा, प्रो. नविता श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे। 
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nएपीएसयू रीवा और अयोध्या शोध संस्थान के बीच हुआ एमओयू 

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n  अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा तथा अयोध्या  शोध संस्थान, संस्कृति विभाग उत्तरप्रदेश के मध्य एक समझौता किया गया है। जिसमें दोनों संस्थानों के मध्य शैक्षिक, शोध एवं सांस्कृतिक गतिविधियों से संबंधित एक-दूसरे को सहयोग  किया जाएगा। अयोध्या शोध संस्थान संपूर्ण विश्व में श्रीराम और भारतीय संस्कृति पर केन्द्रित सांस्कृतिक एवं शैक्षिक कार्यक्रम करता रहता है, वहीं अवधेध प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के परिक्षेत्र में वह विन्ध्य का भू-भाग आता है जहां पर भगवान ने कई वर्षों तक समय बिताया था।  इस दृष्टि दोनों संस्थानों के मध्य हुआ समझौता सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से छात्रों के लिए फायदेमंद होगा। इस समझौता ज्ञापन में विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो. राजकुमार आचार्य  एवं अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डा. लवकुश द्विवेदी ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. सुरेन्द्र सिंह परिहार, जगतगुरू स्वामी रामभद्राचार्य विकलंग विश्वविद्यालय चित्रकूट के कुलपति प्रो. शिशिर पाण्डेय, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. अतुल पाण्डेय, स्ववित्तीय पाठ्यक्रम के संचालक प्रो. एनपी. पाठक, गुणवक्ता प्रकोष्ठ के संचालक एवं पूर्व कुलपति प्रो. रहस्यमणि मिश्रा, रसायन शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष के प्रो. आरएन. पटेल, शिक्षा संकाय के अधिष्ठाता प्रो. सुनील कुमार तिवारी, समाज संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. महेशचन्द्र श्रीवास्तव, नविता श्रीवास्तव, प्रो. श्रीकान्त मिश्र, विश्वविद्यालय मीडिया प्रभारी नलिन दुबे आदि मौजूद रहे।
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