सतना। शहर के पॉश इलाके भरहुत नगर में 19 नवंबर की रात को हुए गोलीकांड मामले में हर स्तर पर लीपापोती जारी है। शक के घेरे में पुलिस के साथ ही डॉक्टर भी आ गए हैं। घटना की वजह को लेकर सतना मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के सह प्राध्यापक डॉ चंद्रशेखर बाघमारे ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमें कई खामियां बताई जा रही हैं। डॉ बाघमारे ने 22 नवंबर को अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मुकेश चुगवानी को दो चोट है, लेकिन इन्हें इंट्री तथा एग्जिट नहीं कहा जा सकता क्योंकि इनका ट्रेक एक दूसरे से मेल नहीं खाता है। सामान्य भाषा में गोली घुसने और निकलने का एक मार्ग नहीं है। दूसरे बिंदु में उन्होंने कहा कि ऐसे कोई भौतिक साक्ष्य नहीं मिले जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि उक्त जख्म किसी फायर आर्म्स से आया है। यह भी बताया है कि ये जख्म लगभग दो से तीन दिन पुराने हो सकते हैं। आखिरी बिंदु में कहा कि जख्म फायर आर्म्स से होने के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। उक्त चोटें किसी सख्त भौथरे वस्तु से अथवा अन्य किसी विस्फोटक पदार्थ से आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
इस रिपोर्ट पर वरिष्ठ फॉरेंसिक एक्सपर्ट ही सवाल खड़े कर रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्होंने बिंदु दो पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि भौतिक साक्ष्य नहीं मिलने की बात जो कही गई है वह अपने आप में सवाल है? क्योंकि फाॅरेंसिक जांच के लिए चिकित्सक को घायल के कपड़े की जांच करनी थी, अगर पुलिस ने कपड़े प्रस्तुत नहीं किए थे तो उन्हें घटना के दौरान प्रयुक्त किए गए कपड़े मांगने थे, क्योंकि बिंदु क्रमांक 4 में उन्होंने विस्फोटक पदार्थ की संभावना जताई है। बिन्दु क्रमांक 1 और 4 में विरोधाभाष की बात भी मानी जा रही है। मसलन बिंदु 1 में सिर्फ दो चोटों का उल्लेख किया गया है, जबकि बिंदु चार में विस्फोटक की संभावना जताई गई है, लेकिन विस्फोटक के जख्म में कई घाव के निशान बनते हैं। इसका कहीं उल्लेख नहीं है। रिपोर्ट में घायल के कपड़ों को लेकर चुप्पी साधी गई है।
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घायल के बयान और रिपोर्ट में समानता नहीं
घायल मुकेश चुगवानी ने अपने बयान में पुलिस को पटाखे से घायल होना बताया है। जबकि, मेडिकल कॉलेज की फाॅरेंसिक रिपोर्ट में कहा गया कि मुकेश की दायीं बांह पर पीछे की तरफ मध्य में कोहनी के जोड़ से 4 सेमी ऊपर 1 गुना 1 सेमी आकार की चोट है। साथ ही दायीं बांह पर ही सामने की तरफ कोहनी की जोड़ से 5 सेमी नीचे एक गुना एक सेमी आकार के चोट का निशान है। ऐसे में अगर पटाखा होता तो बांह के सामने की ओर ही घाव बनता न कि पीछे की ओर। दूसरा फाॅरेंसिक रिपोर्ट में सख्त भोथरे वस्तु से चोट की संभावना जताई गई है। इसका आशय है कि यह चोट दो बार लगी या मारी गई। एक बार आगे की ओर दूसरी बार पीछे की ओर, लेकिन मुकेश ने इस तरह की घटना का उल्लेख अपने बयान में नहीं किया है।
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ऐसा है हाई प्रोफाइल मामला
19 नवंबर की रात पुलिस को भरहुत नगर में गोली चलने की सूचना मिलती है। इसके आधार पर पुलिस संदेही विजय गुप्ता उर्फ मंटू को अपने साथ थाने ले जाती है। इधर घायल मुकेश चुगवानी को सबसे पहले जिला अस्पताल ले जाया जाता है। उस वक्त यहां डॉक्टर विनय मोहन तिवारी ड्यूटी पर थे। अस्पताल में घाव का प्राथमिक उपचार कराया जाता है। इसके बाद घायल को जिला अस्पताल में भर्ती न कराते हुए बिरला अस्पताल ले जाया जाता है। यहां घायल मुकेश कुमार चुगवानी का इलाज प्रारंभ किया जाता है। इस दौरान कोलगवां पुलिस का जवान भी मौजूद रहता है। वहां मौजूद लोहा कारोबारी उमेश लोहिया यह कहते नजर आते हैं कि गोली चली है, लेकिन दूसरे दिन से मामले में यू टर्न आ जाता है और घायल अचानक से खुद को पटाखे से घायल होना बता देता है और किसी के विरुद्ध रिपोर्ट लिखाने से मना कर देता है। इधर बिरला अस्पताल ने पुलिस को भेजी अपनी रिपोर्ट में यह तो बताया कि घायल की एल्बो (कोहनी) ज्वाइंट में दो घाव हैं। एक घाव हाथ के एक ओर है, दूसरा हाथ के दूसरी ओर है, लेकिन घाव किस वजह से हुआ इसके लिए विशेषज्ञ फाॅरेंसिक जांच की अनुशंसा की जाती है।